Monday, April 22, 2013

Murli [22-04-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम घर बैठे वन्डरफुल रूहानी यात्रा पर हो, तुम्हारी है बुद्धि की यात्रा, 
कर्म करते इस यात्रा में कदम आगे बढ़ाते चलो तो पावन बन जायेंगे'' 

प्रश्न:- इस ज्ञान मार्ग में पेचदार तथा महीन बातें कौन सी हैं जो तुम बच्चे अभी ही सुनते हो? 
उत्तर:- तुम जानते हो हम सभी मेल अथवा फीमेल एक शिव परमात्मा की सजनियां आत्मायें हैं। 
साजन है एक परमात्मा। फिर जिस्म के हिसाब से हम शिवबाबा के पोत्रे और पोत्रियां हैं। 
हमारा उनकी प्रापर्टी पर पूरा हक लगता है। हम 21 जन्म के लिए सदा सुख की प्रापर्टी दादे 
से लेते हैं - यह हैं पेचदार बातें। 

गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं.. 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप समान शीतल बन ज्ञान छींटा डाल मनुष्य आत्माओं को भी शीतल बनाने की सेवा करनी है। 

2) दादे की मिलकियत को याद कर अपार खुशी में रहना है। रूहानी धन्धा कर विश्व की बादशाही लेनी है। 

वरदान:- अपने हर कर्म और बोल द्वारा चलते फिरते हर आत्मा को शिक्षा देने वाले मास्टर शिक्षक भव 

जैसे आजकल चलती-फिरती लाइब्रेरी होती है, ऐसे आप भी चलते-फिरते मास्टर शिक्षक हो। 
सदा अपने सामने स्टूडेन्ट देखो, अकेले नहीं हो, सदा स्टूडेन्ट के सामने हो। सदा स्टडी कर भी 
रहे हो और करा भी रहे हो। योग्य शिक्षक कभी स्टूडेन्ट के आगे अलबेले नहीं होंगे, अटेन्शन रखेंगे। 
आप सोते हो, उठते हो, चलते हो, खाते हो, हर समय समझो हम बड़े कालेज में बैठे हैं, 
स्टूडेन्ट देख रहे हैं। 

स्लोगन:- आत्म निश्चय से अपने संस्कारों को सम्पूर्ण पावन बनाना ही श्रेष्ठ योग है।