Thursday, April 18, 2013

Murli [18-04-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-श्रीमत ही श्रेष्ठ बनायेगी, परमत वा मनमत श्रापित कर देगी, 
इसलिए श्रीमत को कभी भी भूलो मत'' 

प्रश्न:- सतोप्रधान पुरुषार्थी कौन और तमोप्रधान पुरुषार्थी कौन? दोनों का अन्तर क्या होगा? 
उत्तर:- सतोप्रधान पुरुषार्थी बाप से पूरा वर्सा लेने का पुरुषार्थ वा प्रतिज्ञा करते हैं, 
वह याद में रहने की रेस करते हैं और नम्बरवन जाने का लक्ष्य रखते हैं। तमोप्रधान 
पुरुषार्थी कहते-जो तकदीर में होगा, अच्छा, प्रजा बनेंगे तो प्रजा ही सही। उनके आगे 
माया का ऐसा विघ्न आता जो रेस से ही बाहर निकल जाते। 

गीत:- मुझको सहारा देने वाले.. 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सवेरे अमृतवेले उठ अशरीरी बन बाप को याद करने का अभ्यास करना है। 
पूरा वर्सा लेने के लिए याद की रेस करनी है। कम से कम 8 घण्टा याद जरूर करना है। 

2) एक बाप पर पूरा बलिहार जाना है। परमत व मनमत पर न चल एक बाप की श्रेष्ठ मत पर चलना है। 

वरदान:- सेवाओं में सदा सहयोगी बन सहजयोग का वरदान प्राप्त करने वाले विशेषता सम्पन्न भव 

ब्राह्मण जीवन विशेषता सम्पन्न जीवन है, ब्राह्मण बनना अर्थात् सहजयोगी भव का वरदान 
प्राप्त करना। यही सबसे पहला जन्म का वरदान है। इस वरदान को बुद्धि में सदा याद 
रखना-यह है वरदान को जीवन में लाना। वरदान को कायम रखने की सहज विधि है-सर्व 
आत्माओं के प्रति वरदान को सेवा में लगाना। सेवा में सहयोगी बनना ही सहजयोगी 
बनना है। तो इस वरदान को स्मृति में रख विशेषता सम्पन्न बनो। 

स्लोगन:- अपने मस्तक की मणी द्वारा स्वयं का स्वरूप और श्रेष्ठ मंजिल का साक्षात्कार कराना ही लाइट हाउस बनना है।