Tuesday, April 16, 2013

Murli [16-04-2013]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-हरेक के सिर पर अनेक जन्मों के विकर्मों का बोझ है, हिसाब-किताब की भोगना है, 
जिसे योगबल से ही चुक्तू करना है'' 

प्रश्न:- बाप समान किस बात में साक्षी बनना है? 
उत्तर:- जैसे बाप को किसी भी बात का अफ़सोस नहीं होता। भल कोई बच्चा बीमार भी पड़ता, कुछ भी होता, 
बाप साक्षी होकर देखते हैं। ऐसे तुम बच्चे भी साक्षी बनो। इस पुरानी दुनिया से ममत्व मिटा दो। हरेक का 
कर्मभोग अपना-अपना है। आत्मा ने जो उल्टे कर्म किये हैं, उसकी भोगना उसे भोगनी ही है इसलिए साक्षी 
होकर देखते रहो। 

गीत:- यह वक्त जा रहा है.... 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) सिर से अनेक जन्मों के विकर्मों का बोझ उतारने के लिए सर्वशक्तिमान बाप की याद में रह बल लेना है। 

2) सर्व को सुख दे आशीर्वाद लेनी है। श्री श्री की श्रेष्ठ मत पर चल पूरा सन्यास करना है। 
इस कयामत के समय में सबसे बुद्धि योग तोड़ देना है। 

वरदान:- सेवा द्वारा प्राप्त मान, मर्तबे का त्याग कर अविनाशी भाग्य बनाने वाले महात्यागी भव 

आप बच्चे जो श्रेष्ठ कर्म करते हो-इस श्रेष्ठ कर्म अथवा सेवा का प्रत्यक्षफल है-सर्व द्वारा महिमा होना। 
सेवाधारी को श्रेष्ठ गायन की सीट मिलती है। मान, मर्तबे की सीट मिलती है, यह सिद्धि अवश्य प्राप्त होती है। 
लेकिन यह सिद्धियां रास्ते की चट्टियाँ हैं, यह कोई फाइनल मंजिल नहीं है इसलिए इसके त्यागवान, 
भाग्यवान बनो, इसको ही कहा जाता है महात्यागी बनना। गुप्त महादानी की विशेषता ही है त्याग के भी त्यागी। 

स्लोगन:- फरिश्ता बनना है तो साक्षी हो हर आत्मा का पार्ट देखो और सकाश दो।