Friday, April 12, 2013

Murli [12-04-2013]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-बाप आये हैं तुम्हें ज्ञान का तीसरा नेत्र देने, जिससे तुम सृष्टि के आदि, 
मध्य, अन्त को जान बुद्धिवान बने हो'' 

प्रश्न:- आत्मा और शरीर दोनों को पवित्र बनाने तथा राजाई पद का अधिकार लेने की सहज विधि क्या है? 
उत्तर:- तुम्हारे पास देह सहित जो भी पुराना कखपन है उसे एक्सचेन्ज करो। बाप के हवाले कर दो। 
पूरा बलि चढ़ो, बाप को ट्रस्टी बनाओ। श्रीमत पर चलते रहो तो आत्मा और शरीर दोनों पवित्र बन 
जायेंगे। राजाई पद प्राप्त हो जायेगा। जनक भी बलि चढ़ा तो उनको जीवनमुक्ति मिली, तुम बच्चे
भी बाप को वारिस बनाओ तो 21 जन्मों का अधिकार मिल जायेगा। 

गीत:- नयनहीन को राह दिखाओ प्रभु... 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) मात-पिता के गद्दी नशीन बनने के लिए पवित्रता की धारणा करनी है। दोनों तरफ़ 
निभाते हुए पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है। 

2) कोई भी विकर्म नहीं करना है। बहुत खबरदार हो श्रीमत पर चलते रहना है। 
ट्रस्टी जरूर बनना है। 

वरदान:- दृष्टि द्वारा शक्ति लेने और शक्ति देने वाले महादानी, वरदानी मूर्त भव 

आगे चलकर जब वाणी द्वारा सेवा करने का समय वा सरकमस्टांश नहीं होगा तब 
वरदानी, महादानी दृष्टि द्वारा ही शान्ति की शक्ति, प्रेम, सुख वा आनंद की शक्ति का 
अनुभव करा सकेंगे। जैसे जड़ मूर्तियों के सामने जाते हैं तो फेस (चेहरे) द्वारा वायब्रेशन 
मिलते हैं, नयनों से दिव्यता की अनुभूति होती है। तो आपने जब चैतन्य में यह सेवा की 
है तब जड़ मूर्तियां बनी हैं इसलिए दृष्टि द्वारा शक्ति लेने और देने का अभ्यास करो तब 
महादानी, वरदानी मूर्त बनेंगे। 

स्लोगन:- फीचर्स में सुख-शान्ति और खुशी की झलक हो तो अनेक आत्माओं का फ्यूचर श्रेष्ठ बना सकते हो।