Thursday, April 11, 2013

Murli [11-04-2013]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - ऐसी कोई गफ़लत मत करो जिससे माया को थप्पड़ लगाने का चान्स मिले, 
अगर श्रीमत पर नहीं चलेंगे तो माया थप्पड़ मार मुँह फेर देगी। 

प्रश्न:- सूर्यवंशी राजधानी में एयरकंडीशन टिकेट लेने का आधार क्या है, वह किन्हें प्राप्त होती है? 
उत्तर:- सूर्यवंशी राजधानी में एयरकन्डीशन टिकेट लेने के लिए हर कदम श्रीमत पर चलना पड़े। 
अपना सब कुछ बाप पर अर्पण करना पड़े। जो पूरे अर्पण होते हैं वही साहूकार बनते हैं। सूर्यवंशी 
राजधानी है ही एयरकन्डीशन। तुम्हारी एम आबजेक्ट ही है सूर्यवंशी पद प्राप्त करना। 
बाकी नम्बरवार पद तो हैं ही। 

गीत:- वह बड़ा खुशनसीब है..... 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) हर एक इस ड्रामा के वश है, इस ड्रामा की किसी भी सीन को देखते संशय नहीं उठाना है। 
ड्रामा के हर राज़ को अच्छी रीति समझकर अडोल रहना है। 

2) अपने को अविनाशी आत्मा समझ इस शरीर से डिटैच हो अशरीरी बनने का अभ्यास करना है। 

वरदान:- सर्व खजानों की सम्पन्नता द्वारा सम्पूर्णता का अनुभव करने वाले प्राप्ति स्वरूप भव 

जैसे चन्द्रमा जब सम्पन्न होता है तो सम्पन्नता उसके सम्पूर्णता की निशानी होती है, इससे और 
आगे नहीं बढ़ेगा, बस इतनी ही सम्पूर्णता है, जरा भी किनारी कम नहीं होती है। ऐसे आप बच्चे जब 
ज्ञान, योग, धारणा और सेवा अर्थात् सभी खजानों से सम्पन्न होते हो, तो इस सम्पन्नता को ही 
सम्पूर्णता कहा जाता है। ऐसी सम्पन्न आत्मायें प्राप्ति स्वरूप होने के कारण स्थिति में भी सदा समीप रहती हैं।
 
स्लोगन:- दिव्य बुद्धि द्वारा सर्व सिद्धियों को प्राप्त करना ही सिद्धि स्वरूप बनना है।