Wednesday, November 7, 2012

Murli [7-11-2012]-Hindi

मुरली सार:- "मीठे बच्चे - अपनी बुद्धि किसी भी देहधारी में नहीं लटकानी है, एक विदेही बाप को याद करना है और दूसरों को भी बाप की ही याद दिलाना है" 
प्रश्न: अपना जीवन हीरे जैसा श्रेष्ठ बनाने के लिए मुख्य किन बातों का अटेन्शन चाहिए? 
उत्तर: 1- भोजन बहुत योगयुक्त होकर बनाना और खाना है। 2- एक दो को बाप की याद दिलाकर जीयदान देना है। 3- कोई भी विकर्म नहीं करना है। 4- फालतू बात करने वालों के संग से अपनी सम्भाल करनी है, झरमुई-झगमुई नहीं करना है। 5- किसी भी देहधारी में अपनी बुद्धि की आसक्ति नहीं रखनी है, देहधारी में लटकना नहीं है। 6- कदम-कदम पर अविनाशी सर्जन से राय लेते रहना है। अपनी बीमारी सर्जन से नहीं छिपानी है। 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) याद की यात्रा में थकना नहीं है, एक दो को सावधान करते बाप की याद दिलानी है। अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है। झरमुई-झगमुई (परचिंतन) न करना है, न सुनना है। 
2) पास विद ऑनर होने के लिए मन्सा-वाचा-कर्मणा कोई भी भूल नहीं करनी है। 
वरदान: सर्व खजानों के अधिकारी बन स्वयं को भरपूर अनुभव करने वाले मास्टर दाता भव 
कहा जाता है - एक दो हजार पाओ, विनाशी खजाना देने से कम होता है, अविनाशी खजाना देने से बढ़ता है। लेकिन दे वही सकता है जो स्वयं भरपूर है। तो मास्टर दाता अर्थात् स्वयं भरपूर व सम्पन्न रहने वाले। उन्हें नशा रहता कि बाप का खजाना मेरा खजाना है। जिनकी याद सच्ची है उन्हें सर्व प्राप्तियां स्वत: होती हैं, मांगने वा फरियाद करने की दरकार नहीं। 
स्लोगन: अपनी स्थिति अचल-अडोल बनाओ तब अन्तिम विनाश की सीन देख सकेंगे।