Tuesday, November 6, 2012

Murli [6-11-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे विशाल बुद्धि बन पूरे विश्व को दु:खधाम से सुखधाम, पतित से पावन बनाने की सेवा करनी है, अपना टाइम सेफ करना है, व्यर्थ नहीं गंवाना है'' 
प्रश्न: इस ज्ञान मार्ग में हेल्दी कौन हैं और अनहेल्दी कौन है? 
उत्तर: हेल्दी वह है जो विचार सागर मंथन करते जीवन में रमणीकता का अनुभव करता है और अनहेल्दी वह है जिसका विचार सागर मंथन नहीं चलता। जैसे गऊ भोजन खाती है तो सारा दिन उगारती रहती है, मुख चलता रहता है। मुख न चले तो समझा जाता है बीमार है, यह भी ऐसे है। 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अमृतवेले उठ बाबा से मीठी-मीठी रूहरिहान करनी है, फिर भोजन खाते, कामकाज करते बाबा की याद में रहना है, देह के संबंधों को भूल आत्मा भाई-भाई हूँ, यह दृष्टि पक्की करनी है। 
2) विकल्पों पर जीत प्राप्त कर दु:ख सुख से न्यारी निरसंकल्प अवस्था में रहना है। कायदेसिर सभी विकारों की आहुति दे योगयुक्त बनना है। 
वरदान: पुरूषार्थ की यथार्थ विधि द्वारा सदा आगे बढ़ने वाले सर्व सिद्धि स्वरूप भव 
पुरूषार्थ की यथार्थ विधि है-अनेक मेरे को परिवर्तन कर एक ''मेरा बाबा''-इस स्मृति में रहना और कुछ भी भूल जाए लेकिन यह बात कभी नहीं भूले कि ''मेरा बाबा''। मेरे को याद नहीं करना पड़ता, उसकी याद स्वत: आती है। ''मेरा बाबा'' दिल से कहते हो तो योग शक्तिशाली हो जाता है। तो इस सहज विधि से सदा आगे बढ़ते हुए सिद्धि स्वरूप बनो। 
स्लोगन: मायाजीत बनना है तो स्नेह के साथ-साथ ज्ञान का भी फाउण्डेशन मजबूत करो।