Monday, November 5, 2012

Murli [5-11-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें मनुष्य से देवता बनना है, इसलिए दैवी फज़ीलत (मैनर्स) धारण करो, आसुरी अवगुणों को छोड़ते जाओ, पावन बनो'' 
प्रश्न: दैवी मैनर्स धारण करने वालों की परख किस एक बात से हो सकती है? 
उत्तर: सर्विस से। कहाँ तक पतित से पावन बने हैं और कितनों को पावन बनाने की सेवा करते हैं! अच्छे पुरुषार्थी हैं या अभी तक आसुरी अवगुण हैं? यह सब सर्विस से पता चलता है। तुम्हारी यह ईश्वरीय मिशन है ही दैवी फ़जीलत सिखलाने की। तुम श्रीमत पर पतित मनुष्य को पावन बनाने की सेवा करते हो। 
गीत:- ओम नमो शिवाए...... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप के साथ वफ़ादार, फरमानबरदार होकर रहना है। कभी किसी को दु:ख नहीं देना है। 
2) बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए पवित्र बनने का पुरुषार्थ करना है। काम की चोट कभी नहीं खानी है। इससे बहुत सावधान रहना है। 
वरदान: सन्तुष्टता के खजाने द्वारा हद की इच्छाओं को समाप्त करने वाले सदा सन्तुष्टमणि भव 
जिनके पास सन्तुष्टता का खजाना है उनके पास सब कुछ है, जो थोड़े में सन्तुष्ट रहते हैं उन्हें सर्व प्राप्तियों की अनुभूति होती है। और जिसके पास सन्तुष्टता नहीं तो सब कुछ होते भी कुछ नहीं है, क्योंकि असन्तुष्ट आत्मा सदा इच्छाओं के वश होती है उसकी एक इच्छा पूरी होगी तो और 10 इच्छायें उत्पन्न हो जायेंगी, इसलिए हद के इच्छा मात्रम् अविद्या... तब कहेंगे सन्तुष्टमणि। 
स्लोगन: स्मृति का स्विच सदा आन रहे तो मूड आफ हो नहीं सकती।