Sunday, November 4, 2012

Murli [4-11-2012]-Hindi

04-11-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:13-12-95 मधुबन 
''व्यर्थ बोल, डिस्टर्ब करने वाले बोल से स्वयं को मुक्त कर बोल की इकॉनॉमी करो'' 
वरदान: सदा उमंग-उत्साह के पंखों द्वारा उड़ने और उड़ाने वाले मजबूत और अथक भव 
आप आत्मायें अनेक आत्माओं को उड़ाने के निमित्त हो इसलिए उमंग-उत्साह के पंख मजबूत हों। सदा इसी स्मृति में रहो कि हम ब्राह्मण (बी.के.) विश्व कल्याण के जवाबदार हैं तो आलस्य और अलबेलापन स्वत: समाप्त हो जायेगा। कभी भी थकेंगे नहीं, जिसमें उमंग-उत्साह होता है वह अथक होते हैं। वह अपने चेहरे और चलन से सदा औरों का भी उमंग-उत्साह बढ़ाते हैं। 
स्लोगन: बाप के संग का रंग लगा हुआ हो तो सब बुराईयां सहज ही परिवर्तन हो जायेंगी।