Friday, November 30, 2012

Murli [30-11-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - पतित-पावन बाप आये हैं पावन बनाकर पावन दुनिया का वर्सा देने, पावन बनने वालों को ही सद्गति प्राप्त होगी'' 
प्रश्न:- भोगी जीवन, योगी जीवन में परिवर्तन होने का मुख्य आधार क्या है? 
उत्तर:- निश्चय। जब तक निश्चय नहीं कि हमको पढ़ाने वाला स्वयं बेहद का बाप है तब तक न योग लगेगा, न पढ़ाई ही पढ़ सकेंगे। भोगी के भोगी ही रह जायेंगे। कई बच्चे क्लास में आते हैं लेकिन पढ़ाने वाले में निश्चय नहीं। समझते हैं हाँ कोई शक्ति है लेकिन निराकार शिवबाबा पढ़ाते हैं - यह कैसे हो सकता? यह तो नई बात है। ऐसे पत्थरबुद्धि बच्चे परिवर्तन नहीं हो सकते। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए..... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) किसी भी देहधारी के नाम रूप में अटकना नहीं है। अपनी देह में भी नहीं फंसना है, इसमें बहुत खबरदारी रखनी है। 
2) ज्ञान मार्ग में नष्टोमोहा जरूर बनना है। पवित्रता की आज्ञा माननी है और दूसरों को भी पवित्र बनाने की युक्ति रचनी है। 
वरदान:- श्रेष्ठ कर्म और योगी जीवन द्वारा सन्तुष्टता के 3 सर्टीफिकेट लेने वाले सन्तुष्टमणि भव 
श्रेष्ठ कर्म की निशानी है-स्वयं भी सन्तुष्ट और दूसरे भी सन्तुष्ट। ऐसे नहीं मैं तो सन्तुष्ट हूँ, दूसरे हों या नहीं। योगी जीवन वाले का प्रभाव दूसरों पर स्वत: पड़ता है। अगर कोई स्वयं से असन्तुष्ट है या और उससे असन्तुष्ट रहते हैं तो समझना चाहिए कि योगयुक्त बनने में कोई कमी है। योगी जीवन के तीन सर्टीफिकेट हैं-एक स्व से सन्तुष्ट, दूसरा-बाप सन्तुष्ट और तीसरा-लौकिक अलौकिक परिवार सन्तुष्ट। जब यह तीन सर्टीफिकेट प्राप्त हों तब कहेंगे सन्तुष्टमणि। 
स्लोगन:- याद और सेवा में सदा बिजी रहना-यह सबसे बड़ी खुशनसीबी है।