Wednesday, November 28, 2012

Murli [28-11-2012]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें श्रीमत पर पूरा-पूरा ध्यान देना है, बाप का फरमान है बच्चे मुझे याद करो और नॉलेज को धारण कर दूसरों की सेवा करो'' 
प्रश्न:- बाबा बच्चों की उन्नति के लिए कौन सी राय बहुत अच्छी देते हैं? 
उत्तर:- मीठे बच्चे, अपना हिसाब-किताब (पोतामेल) रखो। अमृतवेले प्यार से याद करो, लाचारी याद में नहीं बैठो, श्रीमत पर देही-अभिमानी बन पूरा-पूरा रहमदिल बनो तो बहुत अच्छी उन्नति होती रहेगी। 
प्रश्न:- याद में विघ्न रूप कौन बनता है? 
उत्तर:- पास्ट में जो विकर्म किये हुए हैं, वही याद में बैठने समय विघ्न रूप बनते हैं। तुम बच्चे याद में बाप का आह्वान करते हो, माया भुलाने की कोशिश करती है। तुम याद का चार्ट रखो, मेहनत करो तो माला में पिरो जायेंगे। 
गीत:- तू प्यार का सागर है.... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) हर एक्ट श्रीमत पर करनी है। सबका कल्याणकारी रहमदिल बन सेवा करनी है। 
2) याद की आदत पक्की डालनी है। याद में बैठने समय कोई भी मित्र सम्बन्धी, खान-पान आदि याद न आये, इसका अटेन्शन रखना है। याद का चार्ट रखना है। 
वरदान:- हर सेकण्ड, हर कदम श्रीमत पर एक्यूरेट चलने वाले ईमानदार, वफादार भव 
हर कर्म में, श्रीमत के इशारे प्रमाण चलने वाली आत्मा को ही ऑनेस्ट अर्थात् ईमानदार और वफादार कहा जाता है। ब्राह्मण जन्म मिलते ही दिव्य बुद्धि में बापदादा ने जो श्रीमत भर दी है, ऑनेस्ट आत्मा हर सेकण्ड हर कदम उसी प्रमाण एक्यूरेट चलती रहती है। जैसे साइन्स की शक्ति द्वारा कई चीजें इशारे से ऑटोमेटिक चलती हैं, चलाना नहीं पड़ता, चाहे लाइट द्वारा, चाहे वायब्रेशन द्वारा स्विच आन किया और चलता रहता है। ऐसे ही ऑनेस्ट आत्मा साइलेन्स की शक्ति द्वारा सदा और स्वत: चलते रहते हैं। 
स्लोगन:- जहाँ चिंता है वहाँ चैन नहीं हो सकता है।