Tuesday, November 27, 2012

Murli [27-11-2012]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - पुरुषार्थ कर सर्वगुण सम्पन्न बनना है, दैवीगुण धारण करने हैं, देखना है मेरे में अब तक क्या-क्या अवगुण हैं, हम आत्म-अभिमानी कहाँ तक बने हैं 
प्रश्न:- सर्विसएबुल बच्चों की बुद्धि में अब कौन सी तात लगी रहनी चाहिए? 
उत्तर:- मनुष्यों को देवता कैसे बनायें, कैसे सबको लक्ष्मी-नारायण, राम-सीता की बायोग्राफी सुनायें - यह तात बच्चों में लगी रहनी चाहिए। लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में बहुरूपी बन, वेष बदलकर टिपटॉप होकर जाना चाहिए। उनके पुजारियों से वा ट्रस्टियों से अलग समय लेकर मिलना चाहिए। फिर युक्ति से पूछना है कि आपने यह जो मन्दिर बनाया है, इनकी जीवन कहानी क्या है? युक्ति से बात करते, उन्हें परिचय देना है। 
गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं.... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) ज्ञान के नशे में रहना है। निंदा-स्तुति में समान स्थिति रखनी है। अवस्था डगमग नहीं करनी है। 
2) सबको बाप का परिचय दे लक्ष्मी-नारायण की सच्ची जीवन कहानी सुनानी है। कल्याणकारी बन सर्व का कल्याण कर श्रीमत पर बढ़ते रहना है। 
वरदान:- ब्राह्मण जीवन में सदा सुख देने और लेने वाले अतीन्द्रिय सुख के अधिकारी भव 
जो अतीन्द्रिय सुख के अधिकारी हैं वे सदा बाप के साथ सुखों के झूलों में झूलते हैं। उन्हें कभी यह संकल्प नहीं आ सकता कि फलाने ने मुझे बहुत दु:ख दिया। उनका वायदा है - न दु:ख देंगे, न दु:ख लेंगे। अगर कोई जबरदस्ती भी दे तो भी उसे धारण नहीं करते। ब्राह्मण आत्मा अर्थात् सदा सुखी। ब्राह्मणों का काम ही है सुख देना और सुख लेना। वे सदा सुखमय संसार में रहने वाली सुख स्वरूप आत्मा होंगी। 
स्लोगन:- नम्र बनो तो लोग नमन करते हुए सहयोग देंगे।