Sunday, November 25, 2012

Murli [25-11-2012]-Hindi

25-11-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:12-10-75 मधुबन 
कम्पलेन्ट समाप्त कर कम्पलीट बनने की प्रेरणा 
वरदान:- सदा सर्व प्राप्तियों की स्मृति द्वारा मांगने के संस्कारों से मुक्त रहने वाले सम्पन्न व भरपूर भव
एक भरपूरता बाहर की होती है, स्थूल वस्तुओं से, स्थूल साधनों से भरपूर, लेकिन दूसरी होती है मन की भरपूरता। जो मन से भरपूर रहता है उसके पास स्थूल वस्तु या साधन नहीं भी हो फिर भी मन भरपूर होने के कारण वे कभी अपने में कमी महसूस नहीं करेंगे। वे सदा यही गीत गाते रहेंगे कि सब कुछ पा लिया, उनमें मांगने के संस्कार अंश मात्र भी नहीं होंगे। 
स्लोगन:- पवित्रता ऐसी अग्नि है जिसमें सभी बुराईयां जलकर भस्म हो जाती हैं।