Saturday, November 24, 2012

Murli [24-11-2012]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - तुमने जीते जी बेहद के बाप की गोद ली है, उनकी सन्तान बने हो तो श्रीमत पर जरूर चलना है, हर डायरेक्शन अमल में लाना है 
प्रश्न:- सृष्टि की वानप्रस्थ अवस्था कब से शुरू होती है और क्यों? 
उत्तर:- जब शिवबाबा इस ब्रह्मा तन में प्रवेश करते हैं तब से सारी सृष्टि की वानप्रस्थ अवस्था शुरू होती है क्योंकि बाप सबको वापिस ले जाने के लिए आये हैं। इस समय छोटे बड़े सबकी वानप्रस्थ अवस्था है। सबको मीठे घर मुक्तिधाम वापस जाना है फिर जीवनमुक्ति में आना है। वैसे भी बाप जब इस ब्रह्मा तन में प्रवेश करते हैं तो इनकी आयु 60 वर्ष की होती है। इनकी भी वानप्रस्थ अवस्था होती है। 
गीत:- मरना तेरी गली में... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) यह धर्माऊ युग है। इस समय धर्मात्मा बनना है। सबका कल्याण करना है। मुक्ति और जीवनमुक्ति में चलने का रास्ता बताना है। 
2) हमारी यह गॉडली स्टूडेन्ट लाइफ है। बेहद का बाप हमको पढ़ा रहा है। इस खुशी में रहना है। 
वरदान:- अपने चेहरे और चलन से सत्यता की सभ्यता का अनुभव कराने वाले महान आत्मा भव 
महान आत्मायें वह हैं जिनमें सत्यता की शक्ति है। लेकिन सत्यता के साथ सभ्यता भी जरूर चाहिए। ऐसे सत्यता की सभ्यता वाली महान आत्माओं का बोलना, देखना, चलना, खाना-पीना, उठना-बैठना हर कर्म में सभ्यता स्वत: दिखाई देगी। अगर सभ्यता नहीं तो सत्यता नहीं। सत्यता कभी सिद्ध करने से सिद्ध नहीं होती। उसे तो सिद्ध होने की सिद्धि प्राप्त है। सत्यता के सूर्य को कोई छिपा नहीं सकता। 
स्लोगन:- नम्रता को अपना कवच बना लो तो सदा सुरक्षित रहेंगे।