Friday, November 23, 2012

Murli [23-11-2012]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - तुम्हें जितना बाबा कहने से सुख फील होता है, उतना भक्तों को भगवान वा ईश्वर कहने से नहीं फील हो सकता। 
प्रश्न:- लोभ के वश लौकिक बच्चों की भावना क्या होती जो तुम्हारी नहीं हो सकती? 
उत्तर:- लौकिक बच्चे जो लोभी होते वह सोचते हैं कि कब बाप मरे तो प्रापर्टी के हम मालिक बनें। तुम बच्चे बेहद के बाप के प्रति ऐसा कभी सोच ही नहीं सकते क्योंकि बाप तो है ही अशरीरी। यहाँ तुमको अविनाशी बाप से अविनाशी वर्सा मिलता है। 
गीत:- मुखड़ा देख ले प्राणी..... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) सवेरे-सवेरे उठकर बाप को प्यार से याद करने की आदत पक्की डालनी है। कम से कम 3-4 बजे जरूर उठना है। 
2) बेहद बाप से सच्चा लव रखना है। श्रीमत पर चल पूरा वर्सा लेना है। 
वरदान:- पवित्रता की रायॅल्टी द्वारा सदा हर्षित रहने वाले हर्षितचित, हर्षितमुख भव 
पवित्रता की रॉयल्टी अर्थात् रीयल्टी वाली आत्मायें सदा खुशी में नाचती हैं। उनकी खुशी कभी कम, कभी ज्यादा नहीं होती। दिनप्रतिदिन हर समय और खुशी बढ़ती रहेगी। उनके अन्दर एक बाहर दूसरा नहीं होगा। वृत्ति, दृष्टि, बोल और चलन सब सत्य होगा। ऐसी रीयल रायल आत्मायें चित से भी और नैन-चैन से भी सदा हर्षित होंगी। हर्षितचित, हर्षितमुख अविनाशी होगा। 
स्लोगन:- संसार में सर्वश्रेष्ठ बल पवित्रता का बल है।