Thursday, November 22, 2012

Murli [22-11-2012]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - कोई भी देहधारी को याद करने से मुक्ति-जीवनमुक्ति नहीं मिल सकती, बाप ही तुम्हें डायरेक्ट यह वर्सा देते हैं 
प्रश्न:- बाप का बनने के बाद भी माया किन बच्चों को अपनी ओर घसीट लेती है? 
उत्तर:- जिनका बुद्धियोग पुराने सम्बन्धियों में भटकता है, पूरा ज्ञान नहीं है या कोई पुरानी आदत है, ऐसे बच्चों को माया अपनी ओर घसीट लेती है। बाहर का संग भी बहुत खराब है, जो खत्म कर देता है। संग का असर बहुत जल्दी लगता है, इसलिए बाबा कहते बच्चे एक बाप के साथ बुद्धियोग रखो। बाप को ही फालो करो। कोई भी देहधारी में प्यार नहीं रखो। 
गीत:- तुम्हें पाके हमने... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) कर्मबन्धनों के चिन्तन में नहीं रहना है। बुद्धि को देह-धारियों से हटाना है। बेहद का सन्यास करना है। 
2) बन्धनों से छूटने के लिए पूरा-पूरा नष्टोमोहा बनना है। सच्ची दिल रखनी है। ज्ञान में मजबूत (पक्का) और हिम्मतवान बनना है। 
वरदान:- अचल स्थिति द्वारा मास्टर दाता बनने वाले विश्व कल्याणकारी भव 
जो अचल स्थिति वाले हैं उनके अन्दर यही शुभ भावना, शुभ कामना उत्पन्न होती है कि यह भी अचल हो जाएं। अचल स्थिति वालों का विशेष गुण होगा - रहमदिल। हर आत्मा के प्रति सदा दातापन की भावना होगी। उनका विशेष टाइटल ही है विश्व कल्याणकारी। उनके अन्दर किसी भी आत्मा के प्रति घृणा भाव, द्वेष भाव, ईष्या भाव या ग्लानी का भाव उत्पन्न नहीं हो सकता। सदा ही कल्याण का भाव होगा। 
स्लोगन:- शान्ति की शक्ति ही अन्य के क्रोध अग्नि को बुझाने का साधन है।