Tuesday, November 20, 2012

Murli [20-11-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - श्रीमत पर चल स्वच्छ शुद्ध बन धारणा कर फिर युक्तियुक्त सेवा करनी है, अहंकार में नहीं आना है, शुद्ध घमण्ड में रहना है'' 
प्रश्न:- किस एक बात के कारण बाप को इतनी बड़ी नॉलेज देनी पड़ती है? 
उत्तर:- गीता के रचयिता निराकार परमपिता परमात्मा को सिद्ध करने के लिए बाप तुम्हें इतनी बड़ी नॉलेज देते हैं। सबसे बड़ी भूल यही है जो गीता में पतित-पावन बाप की जगह श्रीकृष्ण का नाम डाला है, इसी बात को सिद्ध करना है। इसके लिए भिन्न-भिन्न युक्तियां रचनी है। बाप की माहिमा और श्रीकृष्ण की महिमा अलग-अलग बतानी है। 
गीत:- मरना तेरी गली में ..... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) हर काम बहुत युक्तियुक्त करना है। हर्षितमुख, अचल, स्थिर और ज्ञान की मस्ती में रहकर बाप का शो करना है। 
2) ज्ञान की नई और निराली बातें सिद्ध करनी है। 
वरदान:- साक्षी बन माया के खेल को मनोरंजन समझकर देखने वाले मास्टर रचयिता भव 
माया कितने भी रंग दिखाये, मैं मायापति हूँ, माया रचना है, मैं मास्टर रचयिता हूँ-इस स्मृति से माया का खेल देखो, खेल में हार नहीं खाओ। साक्षी बनकर मनोरंजन समझकर देखते चलो तो फर्स्ट नम्बर में आ जायेंगे। उनके लिए माया की कोई समस्या, समस्या नहीं लगेगी। कोई क्वेश्चन नहीं होगा। सदा साक्षी और सदा बाप के साथ की स्मृति से विजयी बन जायेंगे। 
स्लोगन:- मन को शीतल, बुद्धि को रहमदिल और मुख को मृदु (मीठा)बनाओ।