मुरली सार:- मीठे बच्चे - एक दो को दु:ख देना घोस्ट का काम है, तुम्हें किसी को भी दु:ख नहीं देना है। रामराज्य में यह घोस्ट (रावण) होता नहीं
प्रश्न:- तुम बच्चों को किस बात में मूर्छित नहीं होना है, खुशी में रहना है?
उत्तर:- कोई बीमारी आदि होती है तो मूर्छित नहीं होना है। अगर देह-अभिमान में लटके हुए हैं। अपने को आत्मा नहीं समझते, सारा दिन देह में ध्यान है तो जैसे मरे पड़े हैं। बाबा कहते बच्चे तुम योग में रहो तो दर्द भी कम हो जायेगा। योगबल से दु:ख दूर होते हैं। बहुत खुशी रहती है। कहा जाता है अपनी घोट तो नशा चढ़े। कर्मभोग को योग से हटाना है।
गीत:- तूने रात गँवाई.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान की बुलबुल बन ज्ञान की टिकलू-टिकलू कर सबको कब्र से निकालना है। मात-पिता का शो करना है।
2) अपने अन्दर कोई भी भूत प्रवेश होने नहीं देना है। मोह का भूत भी सत्यानाश कर देता है इसलिए भूतों से बचना है। एक बाप से बुद्धियोग लगाना है।
वरदान: एक बाप दूसरा न कोई इस स्मृति से निमित्त बनकर सेवा करने वाले सर्व लगावमुक्त भव
जो बच्चे सदा एक बाप दूसरा न कोई-इसी स्मृति में रहते हैं उनका मन-बुद्धि सहज एकाग्र हो जाता है। वह सेवा भी निमित्त बनकर करते हैं इसलिए उसमें उनका लगाव नहीं रहता। लगाव की निशानी है - जहाँ लगाव होगा वहाँ बुद्धि जायेगी, मन भागेगा इसलिए सब कुछ जिम्मेवारियां बाप को अर्पण कर ट्रस्टी वा निमित्त बनकर सम्भालो तो लगावमुक्त बन जायेंगे।
स्लोगन:- विघ्न ही आत्मा को बलवान बनाते हैं, इसलिए विघ्नों से डरो मत।
प्रश्न:- तुम बच्चों को किस बात में मूर्छित नहीं होना है, खुशी में रहना है?
उत्तर:- कोई बीमारी आदि होती है तो मूर्छित नहीं होना है। अगर देह-अभिमान में लटके हुए हैं। अपने को आत्मा नहीं समझते, सारा दिन देह में ध्यान है तो जैसे मरे पड़े हैं। बाबा कहते बच्चे तुम योग में रहो तो दर्द भी कम हो जायेगा। योगबल से दु:ख दूर होते हैं। बहुत खुशी रहती है। कहा जाता है अपनी घोट तो नशा चढ़े। कर्मभोग को योग से हटाना है।
गीत:- तूने रात गँवाई.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान की बुलबुल बन ज्ञान की टिकलू-टिकलू कर सबको कब्र से निकालना है। मात-पिता का शो करना है।
2) अपने अन्दर कोई भी भूत प्रवेश होने नहीं देना है। मोह का भूत भी सत्यानाश कर देता है इसलिए भूतों से बचना है। एक बाप से बुद्धियोग लगाना है।
वरदान: एक बाप दूसरा न कोई इस स्मृति से निमित्त बनकर सेवा करने वाले सर्व लगावमुक्त भव
जो बच्चे सदा एक बाप दूसरा न कोई-इसी स्मृति में रहते हैं उनका मन-बुद्धि सहज एकाग्र हो जाता है। वह सेवा भी निमित्त बनकर करते हैं इसलिए उसमें उनका लगाव नहीं रहता। लगाव की निशानी है - जहाँ लगाव होगा वहाँ बुद्धि जायेगी, मन भागेगा इसलिए सब कुछ जिम्मेवारियां बाप को अर्पण कर ट्रस्टी वा निमित्त बनकर सम्भालो तो लगावमुक्त बन जायेंगे।
स्लोगन:- विघ्न ही आत्मा को बलवान बनाते हैं, इसलिए विघ्नों से डरो मत।