मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें इस रुद्र ज्ञान यज्ञ का बड़ा कदर होना चाहिए क्योंकि इस यज्ञ से ही भारत स्वर्ग बनता है, तुम इस यज्ञ के रक्षक हो''
प्रश्न:- बच्चे, बाप वा टीचर को तलाक अथवा फारकती कैसे और कब देते हैं?
उत्तर:- जब बाप अथवा टीचर को भूल जाते हैं, मुरली मिस करते हैं, पढ़ते वा सुनते नहीं हैं तो गोया बाप को फारकती वा तलाक दे देते हैं। बाबा कहते बच्चे तुम मुझे तलाक कभी नहीं देना।
प्रश्न:- तुम्हारा सत्य ज्ञान मनुष्यों को मुश्किल समझ में आता है, क्यों?
उत्तर:- क्योंकि यह ज्ञान परम्परा नहीं चलता है। अभी ही प्राय:लोप हो जाता है। इस ज्ञान का किसको पता ही नहीं है। यह नया ज्ञान है इसलिए उन्हें समझने में मुश्किल लगता है।
गीत:- पितु मात सहायक .....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) माया के तूफानों में कभी मुरझाना नहीं है। सदैव खुशी में रहना है।
2) हमको निराकार बाप पढ़ाते हैं, इस नशे में रहना है। इस झूठी दुनिया में कोई भी कामना नहीं रखनी है।
वरदान: शुभ भावना से व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने वाले होलीहंस भव
होलीहंस उसे कहा जाता - जो निगेटिव को छोड़ पाजिटिव को धारण करे। देखते हुए, सुनते हुए न देखे न सुने। निगेटिव अर्थात् व्यर्थ बातें, व्यर्थ कर्म न सुने, न करे और न बोले। व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन कर दे। इसके लिए हर आत्मा के प्रति शुभ भावना चाहिए। शुभ भावना से उल्टी बात भी सुल्टी हो जाती है इसलिए कोई कैसा भी हो आप शुभ भावना दो। शुभ भावना पत्थर को भी पानी कर देगी। व्यर्थ समर्थ में बदल जायेगा।
स्लोगन:- अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करनी है तो शान्त स्वरूप स्थिति में स्थित रहो।
प्रश्न:- बच्चे, बाप वा टीचर को तलाक अथवा फारकती कैसे और कब देते हैं?
उत्तर:- जब बाप अथवा टीचर को भूल जाते हैं, मुरली मिस करते हैं, पढ़ते वा सुनते नहीं हैं तो गोया बाप को फारकती वा तलाक दे देते हैं। बाबा कहते बच्चे तुम मुझे तलाक कभी नहीं देना।
प्रश्न:- तुम्हारा सत्य ज्ञान मनुष्यों को मुश्किल समझ में आता है, क्यों?
उत्तर:- क्योंकि यह ज्ञान परम्परा नहीं चलता है। अभी ही प्राय:लोप हो जाता है। इस ज्ञान का किसको पता ही नहीं है। यह नया ज्ञान है इसलिए उन्हें समझने में मुश्किल लगता है।
गीत:- पितु मात सहायक .....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) माया के तूफानों में कभी मुरझाना नहीं है। सदैव खुशी में रहना है।
2) हमको निराकार बाप पढ़ाते हैं, इस नशे में रहना है। इस झूठी दुनिया में कोई भी कामना नहीं रखनी है।
वरदान: शुभ भावना से व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने वाले होलीहंस भव
होलीहंस उसे कहा जाता - जो निगेटिव को छोड़ पाजिटिव को धारण करे। देखते हुए, सुनते हुए न देखे न सुने। निगेटिव अर्थात् व्यर्थ बातें, व्यर्थ कर्म न सुने, न करे और न बोले। व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन कर दे। इसके लिए हर आत्मा के प्रति शुभ भावना चाहिए। शुभ भावना से उल्टी बात भी सुल्टी हो जाती है इसलिए कोई कैसा भी हो आप शुभ भावना दो। शुभ भावना पत्थर को भी पानी कर देगी। व्यर्थ समर्थ में बदल जायेगा।
स्लोगन:- अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करनी है तो शान्त स्वरूप स्थिति में स्थित रहो।