Tuesday, November 13, 2012

Murli [13-11-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-बाप के मददगार बन सबको नई दुनिया का पुरूषार्थ कराओ - जैसे खुद नॉलेजफुल बने हो, ऐसे औरों को भी बनाते रहो'' 
प्रश्न:- तुम बच्चों को अभी किस स्मृति में रहना है? स्मृति की कमाल क्या है? 
उत्तर:- तुम्हें अभी बीज और झाड़ की जो नॉलेज मिली है, उस नॉलेज की स्मृति में रहना है। इस स्मृति से तुम चक्रवर्ती राजा बन जाते हो - यही है स्मृति की कमाल। बाप बच्चों को स्मृति दिलाते हैं - बच्चे स्मृति आई तुमने आधाकल्प बहुत भक्ति की है। अब मैं तुम्हें भक्ति का फल देने आया हूँ। तुम फिर से वैकुण्ठ का मालिक बनते हो। जैसे बाप मीठा है - ऐसे बाप की नॉलेज भी मीठी है, जिसका सिमरण कर सिमर-सिमर सुख पाना है। 
गीत:- जाग सजनियाँ जाग.... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) बाप समान बहुत मीठा बनना है। सबको मीठी दृष्टि से देखना है। किसी का भी अवगुण नहीं देखना है। 
2) गॉडली स्टूडेन्ट लाइफ की खुशी में रहना है। जब तक जीना है पढ़ाई रोज़ पढ़नी है। 
वरदान:- नॉलेज की शक्ति द्वारा कर्मेन्द्रियों पर शासन करने वाले सफल स्वराज्य अधिकारी भव 
रोज़ अपने सहयोगी सर्व कर्मचारियों की राज्य दरबार लगाओ और चेक करो कि कोई भी कर्मेन्द्रिय वा कर्मचारी से बार-बार गलती तो नहीं होती है! क्योंकि गलत कार्य करते-करते संस्कार पक्के हो जाते हैं, इसलिए नॉलेज की शक्ति से चेक करने के साथ-साथ चेंज कर दो तब कहेंगे सफल स्वराज्य अधिकारी। ऐसे स्वराज्य चलाने में जो सफल रहते हैं उनसे सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्मायें सन्तुष्ट रहती हैं, वे सर्व की शुक्रिया के पात्र बन जाते हैं। 
स्लोगन:- हर समय करन-करावनहार बाबा याद रहे तो मैं पन का अभिमान आ नहीं सकता।