Monday, November 12, 2012

Murli [12-11-2012]-Hindi


मुरली सार:- मीठे बच्चे - तुम्हें गृहस्थ व्यवहार में रहते सभी से तोड़ निभाना है, एक बार बेहद का सन्यास कर 21 जन्म की प्रालब्ध बनानी है 
प्रश्न:- चलते-फिरते कौन सी एक बात याद रहे तो भी तुम रूहानी यात्रा पर हो? 
उत्तर:- चलते फिरते याद रहे कि हम एक्टर हैं, हमको अब वापिस घर जाना है। बाप यही याद दिलाते हैं। बच्चे मैं तुम्हें वापिस ले जाने आया हूँ, इस स्मृति में रहना ही मनमनाभव, मध्याजी भव है। यही रूहानी यात्रा है जो तुम्हें बाप सिखलाते हैं। 
प्रश्न:- सद्गति के लक्षण कौन से हैं? 
उत्तर:- सर्वगुण सम्पन्न 16 कला सम्पूर्ण... यह जो महिमा है यही सद्गति के लक्षण हैं, जो तुम्हें बाप द्वारा प्राप्त होते हैं। 
गीत:- धीरज धर मनुवा... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) किसी भी बात का अफ़सोस नहीं करना है। अपनी बुद्धि की लाइन सदा क्लीयर रखनी है। गृहचारी से अपनी सम्भाल करनी है। 
2) गृहस्थ व्यवहार से तोड़ निभाना है, नफ़रत नहीं करनी है। कमल फूल समान रहना है। आस्तिक बन सबको आस्तिक बनाना है। 
वरदान:- मेरे-मेरे को समाप्त कर पुरानी दुनिया से मरने वाले निर्भय व ट्रस्ट्री भव 
लोग मरने से डरते हैं और आप तो हो ही मरे हुए। नई दुनिया में जीते हो, पुरानी दुनिया से मरे हुए हो तो मरे हुए को मरने से क्या डर, वे तो स्वत: निर्भय होंगे ही। लेकिन यदि कोई भी मेरा-मेरा होगा तो माया बिल्ली म्याऊं-म्याऊं करेगी। लोगों को मरने का, चीज़ों का या परिवार का फिक्र होता है, आप ट्रस्टी हो, यह शरीर भी मेरा नहीं, इसलिए न्यारे हो, जरा भी किसी में लगाव नहीं। 
स्लोगन:- अपनी दिल को ऐसा विशाल बनाओ जो स्वप्न में भी हद के संस्कार इमर्ज न हों।