Sunday, October 7, 2012

Murli [7-10-2012]-Hindi

07-10-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:22-09-75 मधुबन 
स्वमान में स्थित होना ही सर्व खजाने और खुशी की चाबी है 
वरदान: बाप के प्यार की पालना द्वारा सहज योगी जीवन बनाने वाले स्मृति सो समर्थी स्वरूप भव 
सारे विश्व की आत्मायें परमात्मा को बाप कहती हैं लेकिन पालना और पढ़ाई के पात्र नहीं बनती हैं। सारे कल्प में आप थोड़ी सी आत्मायें अभी ही इस भाग्य के पात्र बनती हो। तो इस पालना का प्रैक्टिकल स्वरूप है-सहजयोगी जीवन। बाप बच्चों की कोई भी मुश्किल बात देख नहीं सकते। बच्चे खुद ही सोच-सोच कर मुश्किल बना देते हैं। लेकिन स्मृति स्वरूप के संस्कारों को इमर्ज करो तो समर्थी आ जायेगी। 
स्लोगन: सदा निश्चिंत स्थिति का अनुभव करना है तो आत्म-चिंतन और परमात्म-चिंतन करो।