Friday, October 5, 2012

Murli [5-10-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें इस पतित दुनिया से अपना बुद्धियोग निकाल बेहद का सन्यासी बनना है, सन्यासी माना पूरे पवित्र और पक्के योगी'' 
प्रश्न: कौन सी अवस्था आते ही माया के तूफान समाप्त हो जाते हैं? 
उत्तर: जब मेरा पति, मेरा बच्चा.... इस मेरे-मेरे से बुद्धियोग टूट जायेगा। मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा न कोई - यह बुद्धि में पक्का होगा। एक बाप से ही पूरा बुद्धियोग लगा होगा तब माया के तूफान समाप्त हो जायेंगे। 
गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) इस पुरानी दुनिया का कम्पलीट सन्यास करना है। पवित्रता और योग की सब्जेक्ट में फर्स्ट नम्बर लेना है। 
2) ज्ञान गंगा बन पतितों को पावन बनाने की सेवा करनी है। मम्मा बाबा को फालो कर बड़ी नदी बनो। 
वरदान: एक बाप में सारे संसार की अनुभूति करते हुए एक की याद में रहने वाले सहज योगी भव 
सहजयोग का अर्थ ही है - एक को याद करना। एक बाप दूसरा न कोई। तन-मन-धन सब तेरा, मेरा नहीं। ऐसे ट्रस्टी बन डबल लाइट रहने वाले ही सहजयोगी हैं। सहजयोगी बनने की सहज विधि है - एक को याद करना, एक में सब कुछ अनुभव करना। बाप ही संसार है तो याद सहज हो गई। आधाकल्प मेहनत की अभी बाप मेहनत से छुड़ाते हैं। लेकिन यदि फिर भी मेहनत करनी पड़ती है तो उसका कारण है अपनी कमजोरी। 
स्लोगन: महान आत्मा वह है जो पवित्रता रूपी धर्म को जीवन में धारण करता है।