Thursday, October 25, 2012

Murli [25-10-2012]-Hindi


मुरली सार:- ”मीठे बच्चे – बाप आये हैं तुम्हें सब घुटकों से छुड़ाने, तुम अभी इस शोक वाटिका से अशोक वाटिका में चलते हो, इस विषय वैतरणी नदी से पार जाते हो”
प्रश्न:- याद में बैठते समय किस बात का विघ्न नहीं पड़ता और किस बात का विघ्न पड़ता है?
उत्तर:- याद में बैठने के समय किसी भी आवाज का या शोरगुल का विघ्न नहीं पड़ता वह ज्ञान में पड़ता है लेकिन याद में माया का विघ्न जरूर पड़ता है। माया याद के समय ही विघ्न डालती है। अनेक प्रकार के संकल्प-विकल्प ले आती है इसलिए बाबा कहते हैं बच्चे सावधान रहो। माया का घूंसा मत खाओ। शिवबाबा जो तुम्हें अपार सुख देता है, सर्व संबंधों की सैक्रीन है-उसे बहुत-बहुत प्यार से याद करो। याद में तीखी दौड़ी लगाओ।
गीत:- रात के राही…..
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान के सब अलंकारों को धारण कर स्वदर्शन चक्रधारी, त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी अर्थात् मास्टर गॉड बनना है।
2) बाप के राइट हैण्ड धर्मराज़ को स्मृति में रख कोई भी विकर्म नहीं करने हैं। पावन बनने की प्रतिज्ञा करके विकार में नहीं जाना है।
वरदान:- स्मृति के महत्व को जान अपनी श्रेष्ठ स्थिति बनाने वाले अविनाशी तिलकधारी भव
भक्ति मार्ग में तिलक का बहुत महत्व है। जब राज्य देते हैं तो तिलक लगाते हैं, सुहाग और भाग्य की निशानी भी तिलक है। ज्ञान मार्ग में फिर स्मृति के तिलक का बहुत महत्व है। जैसी स्मृति वैसी स्थिति होती है। अगर स्मृति श्रेष्ठ है तो स्थिति भी श्रेष्ठ होगी इसलिए बापदादा ने बच्चों को तीन स्मृतियों का तिलक दिया है। स्व की स्मृति, बाप की स्मृति और श्रेष्ठ कर्म के लिए ड्रामा की स्मृति – अमृतवेले इन तीनों स्मृतियों का तिलक लगाने वाले अविनाशी तिलकधारी बच्चों की स्थिति सदा श्रेष्ठ रहती है।
स्लोगन:- सदा अच्छा-अच्छा सोचते रहो तो सब अच्छा हो जायेगा।