मुरली सार:- ”मीठे बच्चे – बाप तुम्हें ज्ञान की कस्तूरी देते हैं तो ऐसे बाप पर तुम्हें कुर्बान जाना है, मात-पिता को फालो कर पावन बनाने की सेवा करनी है”
प्रश्न:- जो तकदीरवान बच्चे हैं उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:- तकदीरवान अर्थात् बख्तावर बच्चे अच्छी रीति पढ़ेंगे और पढ़ायेंगे। वह पक्के निश्चय बुद्धि होंगे। कभी भी बाप का हाथ नहीं छोड़ेंगे। धन्धे आदि में रहते यह कोर्स भी उठायेंगे। बहुत खुशी में रहेंगे। परन्तु जिनकी तकदीर में नहीं है, वह लाटरी मिलते हुए भी गँवा देंगे।
उत्तर:- तकदीरवान अर्थात् बख्तावर बच्चे अच्छी रीति पढ़ेंगे और पढ़ायेंगे। वह पक्के निश्चय बुद्धि होंगे। कभी भी बाप का हाथ नहीं छोड़ेंगे। धन्धे आदि में रहते यह कोर्स भी उठायेंगे। बहुत खुशी में रहेंगे। परन्तु जिनकी तकदीर में नहीं है, वह लाटरी मिलते हुए भी गँवा देंगे।
गीत:- भोलेनाथ से निराला……
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सच्चा ब्राह्मण बनना है। अन्दर में कोई खोट नहीं रखनी है। स्वदर्शन चक्रधारी बन शंखध्वनि करनी है। धन्धा करते भी यह कोर्स उठाना है।
2) बाप समान रहमदिल बन अन्धों की लाटी बनना है। मात-पिता को फॉलो करने का ऊँच पुरुषार्थ करना है। अपने पांव पर खड़े होना है, किसी को भी आधार नहीं बनाना है।
1) सच्चा ब्राह्मण बनना है। अन्दर में कोई खोट नहीं रखनी है। स्वदर्शन चक्रधारी बन शंखध्वनि करनी है। धन्धा करते भी यह कोर्स उठाना है।
2) बाप समान रहमदिल बन अन्धों की लाटी बनना है। मात-पिता को फॉलो करने का ऊँच पुरुषार्थ करना है। अपने पांव पर खड़े होना है, किसी को भी आधार नहीं बनाना है।
वरदान:- मास्टर स्नेह के सागर बन घृणा भाव को समाप्त करने वाले नॉलेजफुल भव।
नॉलेजफुल अर्थात् ज्ञानी तू आत्मा बच्चे हर एक के प्रति मास्टर स्नेह के सागर होते हैं। उनके पास स्नेह के बिना और कुछ है ही नहीं। आजकल सम्पत्ति से भी ज्यादा स्नेह की आवश्यकता है। तो मास्टर स्नेह के सागर बन अपकारी पर भी उपकार करो। जैसे बाप सभी बच्चों के प्रति रहम और कल्याण की भावना रखते हैं, ऐसे बाप समान क्षमा के सागर और रहमदिल बच्चों में भी किसी के प्रति घृणा भाव नहीं हो सकता।
नॉलेजफुल अर्थात् ज्ञानी तू आत्मा बच्चे हर एक के प्रति मास्टर स्नेह के सागर होते हैं। उनके पास स्नेह के बिना और कुछ है ही नहीं। आजकल सम्पत्ति से भी ज्यादा स्नेह की आवश्यकता है। तो मास्टर स्नेह के सागर बन अपकारी पर भी उपकार करो। जैसे बाप सभी बच्चों के प्रति रहम और कल्याण की भावना रखते हैं, ऐसे बाप समान क्षमा के सागर और रहमदिल बच्चों में भी किसी के प्रति घृणा भाव नहीं हो सकता।
स्लोगन :- हदों को समाप्त कर बेहद की दृष्टि और वृत्ति को अपनाना ही युनिटी का आधार है।