Thursday, October 25, 2012

Murli [18-10-2012]-Hindi


मुरली सार:- ”मीठे बच्चे – अभी तुम्हें दिव्य दृष्टि मिली है – तुम जानते हो यह पुरानी दुनिया खत्म होनी है, इसलिए इससे ममत्व मिटा देना है, पूरा-पूरा बलि चढ़ना है”
प्रश्न:- जो अविनाशी बाप पर पूरा बलि चढ़े हुए बच्चे हैं उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:- वह अपना पैसा आदि फालतू खर्च नहीं करेंगे। भक्ति मार्ग में दीपावली आदि पर कितना बारूद जलाते हैं। अल्पकाल की खुशी मनाते हैं। तुम जानते हो यह सब वेस्ट ऑफ टाइम, वेस्ट आफ मनी, वेस्ट आफ एनर्जी है। यहाँ तुम्हें ऐसी खुशियाँ नहीं मनानी हैं क्योंकि तुम तो वनवास में हो। तुम्हें इन कांटों की दुनिया से फूलों की दुनिया में जाना है।
गीत:- तुम्हें पाके हमने……
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) मात-पिता को पूरा फालो कर पढ़ाई में ऊंच पद पाना है। इस दुनिया में कोई भी शौक नहीं रखना है। वनवास में रहना है।
2) इन ऑखों से जो कुछ दिखाई देता है उसे देखते हुए भी नहीं देखना है। पूरा नष्टोमोहा बनना है। संगम पर कुछ भी वेस्ट नहीं करना है।
वरदान:- समय पर योग की शक्तियों का प्रयोग करने वाले स्व के संस्कार सो संसार परिवर्तक भव
जैसे योग करने और कराने में योग्य हो ऐसे योग का प्रयोग करने में भी योग्य बनो। सबसे पहले अपने संस्कारों पर योग की शक्ति का प्रयोग करो क्योंकि आपके श्रेष्ठ संस्कार ही श्रेष्ठ संसार के रचना की नींव हैं। तो चेक करो कि कोई भी संस्कार समय पर धोखा तो नहीं देते हैं? कैसी भी बात हो, व्यक्ति या वायुमण्डल हो लेकिन श्रेष्ठ संस्कारों को परिवर्तन कर साधारण वा व्यर्थ न बना दें। जो स्व के संस्कारों को परिवर्तन कर लेते हैं वही संसार को परिवर्तन करने के निमित्त बन जाते हैं।
स्लोगन:- नम्बर आगे लेना है तो स्वभाव इजी और पुरूषार्थ अटेन्शन वाला हो।