Monday, October 15, 2012

Murli [15-10-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - ज़रा भी गफ़लत की तो माया ऐसा हप कर लेगी जो ईश्वरीय संग से भी दूर चले जायेंगे, इसलिए अपनी सम्भाल करो, खबरदार रहो'' 
प्रश्न: इस ईश्वरीय क्लास में बैठने का कायदा कौन सा है? 
उत्तर: इस क्लास में वही बैठ सकता है जिसने बाप को यथार्थ पहचाना है। यहाँ बैठने वालों की अव्यभिचारी याद चाहिए। अगर यहाँ बैठे औरों को याद करते रहे तो वह वायुमण्डल को खराब करते हैं। यह भी बहुत बड़ी डिससर्विस है। यहाँ के कायदे कड़े होने के कारण तुम्हारी वृद्धि कम होती है। 
प्रश्न:- किस एक बात से बच्चों की अवस्था का पता पड़ता है? 
उत्तर:- इस रोगी भोगी दुनिया में कभी कोई पेपर आता और रोने लगते तो अवस्था का पता पड़ जाता। तुम्हें रोने की मना है। 
गीत:- मुखड़ा देख ले प्राणी.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) चन्द्रमा समान 16 कला सम्पन्न बनने के लिए 5 विकारों का पूरा दान दे ग्रहण से मुक्त हो जाना है। 
2) बाप का बनकर कोई पाप कर्म नहीं करना है। शरीर से भी ममत्व निकाल मोहजीत बन जाना है। 
वरदान: अनेक प्रकार के भावों को समाप्त कर आत्मिक भाव को धारण करने वाले सर्व के स्नेही भव 
देह-भान में रहने से अनेक प्रकार के भाव उत्पन्न होते हैं। कभी कोई अच्छा लगेगा तो कभी कोई बुरा लगेगा। आत्मा रूप में देखने से रूहानी प्यार पैदा होगा। आत्मिक भाव, आत्मिक दृष्टि, आत्मिक वृत्ति में रहने से हर एक के सम्बन्ध में आते हुए अति न्यारे और प्यारे रहेंगे। तो चलते फिरते अभ्यास करो- ''मैं आत्मा हूँ'' इससे अनेक प्रकार के भाव-स्वभाव समाप्त हो जायेंगे और सबके स्नेही स्वत: बन जायेंगे। 
स्लोगन: जिसके पास उमंग-उत्साह के पंख है उसे सफलता सहज प्राप्त होती है।