Monday, October 1, 2012

Murli [1-10-2012]-Hindi


“मीठे बच्चे - तुम हो स्प्रीचुअल, रुहानी इनकागनीटो सैलवेशन आर्मी, तुम्हें सारी दुनिया को सैलवेज करना है, डूबे हुए बेड़े को पार लगाना है” 

प्रश्न: संगम पर बाप कौन-सी युनिवर्सिटी खोलते हैं जो सारे कल्प में नहीं होती? 
उत्तर: राजाई प्राप्त करने के लिए पढ़ने की गॉड फादरी युनिवर्सिटी वा कॉलेज संगम पर बाप ही खोलते हैं। ऐसी युनिवर्सिटी सारे कल्प में नहीं होती। इस युनिवर्सिटी में पढ़ाई पढ़कर तुम डबल सिरताज राजाओं का राजा बनते हो। 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) रुहानी सैलवेशन आर्मी बन स्वयं को और सर्व को सही रास्ता बताना है। सारी दुनिया को विषय सागर से सैलवेज करने के लिए बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है। 
2) ज्ञान-योग से पवित्र बन आत्मा का श्रृंगार करना है, शरीरों का नहीं। आत्मा के पवित्र बनने से शरीर का श्रृंगार स्वत: हो जायेगा। 

वरदान: मन के मौन से सेवा की नई इन्वेन्शन निकालने वाले सिद्धि स्वरूप भव 
जैसे पहले-पहले मौन व्रत रखा था तो सब फ्री हो गये थे, टाइम बच गया था ऐसे अब मन का मौन रखो जिससे व्यर्थ संकल्प आवे ही नहीं। जैसे मुख से आवाज न निकले वैसे व्यर्थ सकल्प न आये - यह है मन का मौन। तो समय बच जायेगा। इस मन के मौन से सेवा की ऐसी नई इन्वेन्शन निकलेगी जो साधना कम और सिद्धि ज्यादा होगी। जैसे साइंस के साधन सेकेण्ड में विधि को प्राप्त कराते हैं वैसे इस साइलेन्स के साधन द्वारा सेकेण्ड में विधि प्राप्त होगी। 

स्लोगन: जो स्वयं समर्पित स्थिति में रहते हैं - सर्व का सहयोग भी उनके आगे समर्पित होता है।