Thursday, June 7, 2012

Murli [7-06-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप से जो प्रतिज्ञा की है उस पर पूरा-पूरा चलना है, धरत परिये धर्म न छोड़िये - यही है सबसे ऊंची मंजिल, प्रतिज्ञा को भूल उल्टा कर्म किया तो रजिस्टर खराब हो जायेगा'' 
प्रश्न: यात्रा पर हम तीखे जा रहे हैं उसकी परख अथवा निशानी क्या होगी? 
उत्तर: अगर यात्रा पर तीखे जा रहे होंगे तो बुद्धि में स्वदर्शन चक्र फिरता रहेगा। सदा बाप और वर्से के सिवाए और कुछ भी याद नहीं होगा। यथार्थ याद माना ही यहाँ का कुछ भी दिखाई न दे। देखते हुए भी जैसे नहीं देख रहे हैं। वह सब कुछ देखते हुए भी समझेंगे कि यह सब मिट्टी में मिल जाना है। यह महल आदि खलास हो जाना है। यह कुछ भी हमारी राजधानी में नहीं था, न फिर होगा। 
गीत:- मांझी मेरे किस्मत की..... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अन्दर में कोई भी खामी हो तो उसे चेक कर निकाल देना है। बाप से जो प्रतिज्ञा की है उस पर अटल रहना है। 
2) भोजन बहुत शुद्धि से दृष्टि देकर स्वीकार करना है। बाप अथवा साजन की याद में खुशी-खुशी भोजन खाना है। 
वरदान: अपनी सूक्ष्म चेकिंग द्वारा पापों के बोझ को समाप्त करने वाले समान वा सम्पन्न भव 
यदि कोई भी असत्य वा व्यर्थ बात देखी, सुनी और उसे वायुमण्डल में फैलाई। सुनकर दिल में समाया नहीं तो यह व्यर्थ बातों का फैलाव करना-यह भी पाप का अंश है। यह छोटे-छोटे पाप उड़ती कला के अनुभव को समाप्त कर देते हैं। ऐसे समाचार सुनने वालों पर भी पाप और सुनाने वालों पर उससे ज्यादा पाप चढ़ता है इसलिए अपनी सूक्ष्म चेकिंग कर ऐसे पापों के बोझ को समाप्त करो तब बाप समान वा सम्पन्न बन सकेंगे। 
स्लोगन: बहानेबाजी को मर्ज कर दो तो बेहद की वैराग्य वृत्ति इमर्ज हो जायेगी।