Monday, June 25, 2012

Murli [25-06-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें किसी भी देहधारी के नाम रूप में नहीं फँसना है, तुम अशरीरी बन बाप को याद करो तो आयु बढ़ेगी, निरोगी बनते जायेंगे'' 
प्रश्न: सेन्सीबुल बच्चों की मुख्य निशानियां क्या होंगी? 
उत्तर: जो सेन्सीबुल होंगे वह पहले स्वयं में धारणा कर फिर दूसरों को करायेंगे। बादल भरकर जाए वर्षा करेंगे। पढ़ाई के समय उबासी नहीं लेंगे। ब्राह्मणियों पर रेस्पान्सिबिल्टी है - यहाँ उन्हें ही लेकर आना है जो रिफ्रेश होकर जाए फिर वर्षा करें। 2- यहाँ वही आने चाहिए जो योग में अच्छी तरह रहकर वायुमण्डल को पावरफुल बनाने में मदद करें। विघ्न न डाले। यहाँ आस-पास बड़ी शान्ति रहनी चाहिए। कोई भी प्रकार का आवाज न हो। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए ... 
धारणा के लिए मुख्य सार- 
1) शरीर से डिटैच हो स्वधर्म में स्थित रहने का अभ्यास करना है। जितना हो सके मोस्ट विलवेड बाप को याद करना है। मोह की रग सब तरफ से निकाल देनी है। 
2) पढ़ाई पर पूरा ध्यान दे अपने ऊपर आपेही कृपा वा आशीर्वाद करनी है। बुद्धियोग हद से तोड़ बेहद से जोड़ना है। बाप का बनकर बाप पर पूरा-पूरा बलि चढ़ना है। 
वरदान: रंग और रूप के साथ-साथ सम्पूर्ण पवित्रता की खुशबू को धारण करने वाले आकर्षणमूर्त भव 
ब्राह्मण बनने से सभी में रंग भी आ गया है और रूप भी परिवर्तन हो गया है लेकिन खुशबू नम्बरवार है। आकर्षण मूर्त बनने के लिए रंग और रूप के साथ सम्पूर्ण पवित्रता की खुशबू चाहिए। पवित्रता अर्थात् सिर्फ ब्रह्मचारी नहीं लेकिन देह के लगाव से भी न्यारा। मन बाप के सिवाए और किसी भी प्रकार के लगाव में नहीं जाये। तन से भी ब्रह्मचारी, सम्बन्ध में भी ब्रह्मचारी और संस्कारों में भी ब्रह्मचारी -ऐसी खुशबू वाले रूहानी गुलाब ही आकर्षणमूर्त बनते हैं। 
स्लोगन: यथार्थ सत्य को परख लो तो अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करना सहज हो जायेगा।