Saturday, June 23, 2012

Murli [23-06-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - याद में रह अपने विकर्मों की प्रायश्चित करो तो विकर्माजीत बन जायेंगे, पुराने सब हिसाब-किताब चुक्तू हो जायेंगे'' 
प्रश्न: किन बच्चों से हर बात का त्याग सहज हो जाता है? 
उत्तर: जिन बच्चों को अन्दर से वैराग्य आता है - वह हर बात का त्याग सहज ही कर लेते हैं, तुम बच्चों के अन्दर अब यह इच्छायें नहीं होनी चाहिए कि यह पहनूं, यह खाऊं, यह करूं... देह सहित सारी पुरानी दुनिया का ही त्याग करना है। बाप आये हैं तुम्हें हथेली पर बहिस्त देने तो इस पुरानी दुनिया से बुद्धियोग हट जाना चाहिए। 
गीत:- माता ओ माता.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) पुण्य आत्मा बनने के लिए याद की मेहनत करनी है। सब हिसाब-किताब समाप्त कर पास विद ऑनर हो इज्जत से जाना है इसलिए कर्मभोग से डरना नहीं है, खुशी-खुशी चुक्तू करना है। 
2) सदा इसी नशे में रहना है कि हम भविष्य प्रिन्स-प्रिन्सेज बन रहे हैं। यह है प्रिन्स-प्रिन्सेज बनने की कॉलेज। 
वरदान: अच्छे संकल्प रूपी बीज द्वारा अच्छा फल प्राप्त करने वाले सिद्धि स्वरूप आत्मा भव 
सिद्धि स्वरूप आत्माओं के हर संकल्प अपने प्रति वा दूसरों के प्रति सिद्ध होने वाले होते हैं। उन्हें हर कर्म में सिद्धि प्राप्त होती है। वे जो बोल बोलते हैं वह सिद्ध हो जाते हैं इसलिए सत वचन कहा जाता है। सिद्धि स्वरूप आत्माओं का हर संकल्प, बोल और कर्म सिद्धि प्राप्त होने वाला होता है, व्यर्थ नहीं। यदि संकल्प रूपी बीज बहुत अच्छा है लेकिन फल अच्छा नहीं निकलता तो दृढ़ धारणा की धरनी ठीक नहीं है या अटेन्शन की परहेज में कमी है। 
स्लोगन: दु:ख की लहर से मुक्त होना है तो कर्मयोगी बनकर हर कर्म करो।