Tuesday, June 19, 2012

Murli [19-06-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - ब्राह्मण बनकर कोई ऐसी चलन नहीं चलना जो बाप का नाम बदनाम हो, धन्धाधोरी करते सिर्फ श्रीमत पर चलते रहो'' 
प्रश्न: गॉडली स्टूडेन्ट के मुख से कौन से शब्द नहीं निकलने चाहिए? 
उत्तर: हमें पढ़ाई पढ़ने की फुर्सत नहीं है, यह शब्द तुम्हारे मुख से नहीं निकलने चाहिए। बाप कोई बच्चों के सिर पर आपदा (बोझ-समस्या) नहीं डालते सिर्फ कहते हैं सवेरे-सवेरे उठ एक घड़ी, आधी घड़ी मुझे याद करो और पढ़ाई पढ़ो। 
प्रश्न:- मनुष्यों का प्लैन क्या है और बाप का पलैन क्या है? 
उत्तर:- मनुष्यों का प्लैन है - सब मिलकर एक हो जाएं। नर चाहत कुछ और...बाप का प्लैन है झूठ खण्ड को सचखण्ड बनाना। तो सचखण्ड में चलने के लिए जरूर सच्चा बनना पड़े। 
गीत:- आज के इंसान को... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) सच खण्ड के लिए सच्ची कमाई करनी है। आत्म-अभिमानी होकर रहना है। इस सड़ी हुई जुत्ती (शरीर) का अभिमान छोड़ देना है। 
2) रहमदिल बन अपना और दूसरों का कल्याण करना है। सवेरे-सवेरे उठ बाप को याद करते, स्वदर्शन चक्र फिराना है। 
वरदान: शुभ भावना और श्रेष्ठ भाव द्वारा सर्व के प्रिय बन विजय माला में पिरोने वाले विजयी भव 
कोई किसी भी भाव से बोले वा चले लेकिन आप सदा हर एक के प्रति शुभ भाव, श्रेष्ठ भाव धारण करो, इसमें विजयी बनो तो माला में पिरोने के अधिकारी बन जायेंगे, क्योंकि सर्व के प्रिय बनने का साधन ही है सम्बन्ध-सम्पर्क में हर एक के प्रति श्रेष्ठ भाव धारण करना। ऐसे श्रेष्ठ भाव वाला सदा सभी को सुख देगा, सुख लेगा। यह भी सेवा है तथा शुभ भावना मन्सा सेवा का श्रेष्ठ साधन है। तो ऐसी सेवा करने वाले विजयी माला के मणके बन जाते हैं। 
स्लोगन: कर्म में योग का अनुभव करना ही कर्मयोगी बनना है।