04-05-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''बापदादा'' मधुबन
मुरली सार : ''मीठे बच्चे - तुम सच्चे-सच्चे आशिक बन मुझ एक माशूक को याद करो तो तुम्हारी आयु बढ़ जायेगी, योग और पढ़ाई से ही तुम ऊंच पद पा सकेंगे''
प्रश्न: भारत को स्वर्ग बनाने के लिए बाप बच्चों से कौन सी मदद मांगते हैं?
उत्तर: बच्चे - मुझे पवित्रता की मदद चाहिए। प्रतिज्ञा करो - हम काम विकार को लात मार पवित्र जरूर बनेंगे। सवेरे-सवेरे उठ अपने से बातें करो - मीठे बाबा हम आपकी मदद के लिए तैयार हैं। हम पवित्र बन भारत को पवित्र जरूर बनायेंगे। हम आपकी शिक्षा पर जरूर चलेंगे। कोई भी पाप का काम नहीं करेंगे। बाबा आपकी कमाल है, स्वप्न में भी नहीं था कि हम कोई विश्व का मालिक बनेंगे। आप हमें क्या से क्या बना रहे हैं।
गीत:- तुम्हारे बुलाने को...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सच्चा-सच्चा आशिक बनना है। बुद्धियोग एक माशुक से लगाना है। बुद्धि इधर-उधर न भटके इस पर अटेन्शन देना है।
2) प्राप्ति को सामने रखते हुए बाप को निरन्तर याद करना है। पवित्र जरूर बनना है। भारत को स्वर्ग बनाने का धन्धा करना है।
वरदान: सम्पन्नता के आधार पर सन्तुष्टता का अनुभव करने वाले सदा तृप्त आत्मा भव
जो सदा भरपूर वा सम्पन्न रहते हैं, वे तृप्त होते हैं। चाहे कोई कितना भी असन्तुष्ट करने की परिस्थितियां उनके आगे लाये लेकिन सम्पन्न, तृप्त आत्मा असन्तुष्ट करने वाले को भी सन्तुष्टता का गुण सहयोग के रूप में देगी। ऐसी आत्मा ही रहमदिल बन शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा उनको भी परिवर्तन करने का प्रयत्न करेगी। रूहानी रॉयल आत्मा का यही श्रेष्ठ कर्म है।
स्लोगन: याद और सेवा का डबल लॉक लगाओ तो माया आ नहीं सकती।
मुरली सार : ''मीठे बच्चे - तुम सच्चे-सच्चे आशिक बन मुझ एक माशूक को याद करो तो तुम्हारी आयु बढ़ जायेगी, योग और पढ़ाई से ही तुम ऊंच पद पा सकेंगे''
प्रश्न: भारत को स्वर्ग बनाने के लिए बाप बच्चों से कौन सी मदद मांगते हैं?
उत्तर: बच्चे - मुझे पवित्रता की मदद चाहिए। प्रतिज्ञा करो - हम काम विकार को लात मार पवित्र जरूर बनेंगे। सवेरे-सवेरे उठ अपने से बातें करो - मीठे बाबा हम आपकी मदद के लिए तैयार हैं। हम पवित्र बन भारत को पवित्र जरूर बनायेंगे। हम आपकी शिक्षा पर जरूर चलेंगे। कोई भी पाप का काम नहीं करेंगे। बाबा आपकी कमाल है, स्वप्न में भी नहीं था कि हम कोई विश्व का मालिक बनेंगे। आप हमें क्या से क्या बना रहे हैं।
गीत:- तुम्हारे बुलाने को...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सच्चा-सच्चा आशिक बनना है। बुद्धियोग एक माशुक से लगाना है। बुद्धि इधर-उधर न भटके इस पर अटेन्शन देना है।
2) प्राप्ति को सामने रखते हुए बाप को निरन्तर याद करना है। पवित्र जरूर बनना है। भारत को स्वर्ग बनाने का धन्धा करना है।
वरदान: सम्पन्नता के आधार पर सन्तुष्टता का अनुभव करने वाले सदा तृप्त आत्मा भव
जो सदा भरपूर वा सम्पन्न रहते हैं, वे तृप्त होते हैं। चाहे कोई कितना भी असन्तुष्ट करने की परिस्थितियां उनके आगे लाये लेकिन सम्पन्न, तृप्त आत्मा असन्तुष्ट करने वाले को भी सन्तुष्टता का गुण सहयोग के रूप में देगी। ऐसी आत्मा ही रहमदिल बन शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा उनको भी परिवर्तन करने का प्रयत्न करेगी। रूहानी रॉयल आत्मा का यही श्रेष्ठ कर्म है।
स्लोगन: याद और सेवा का डबल लॉक लगाओ तो माया आ नहीं सकती।