Tuesday, May 29, 2012

Murli [29-05-2012]-Hindi

मुरली सार : ''मीठे बच्चे - तुम ही बहुतकाल से बिछुड़े हुए हो, तुमने ही पूरे 84 जन्मों का पार्ट बजाया, अब तुम्हें दु:ख के बन्धन से सुख के सम्बन्ध में जाना है, तो अपार खुशी में रहो'' 
प्रश्न: अपार खुशी किन बच्चों को सदा रह सकती है? 
उत्तर: जिन्हें निश्चय है कि 1) बाबा हमें विश्व का मालिक बनाने आया है। 2) हमारा सच्चा बाबा वही गीता का सच्चा-सच्चा ज्ञान सुनाने आया है। 3) हम आत्मा अब ईश्वर की गोद में बैठे हैं। हम आत्मा इस शरीर सहित बाप की बनी हूँ। 4) बाबा हमें भक्ति का फल (सद्गति) देने आया है। 5) बाबा ने हमें त्रिकालदर्शी बनाया है। 6) भगवान ने हमें माँ बनकर एडाप्ट किया है। हम गॉडली स्टूडेन्ट हैं। जो इस स्मृति वा निश्चय में रहते उन्हें अपार खुशी रहती है। 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) माया के वार से बचने के लिए जिन्न बन अल्फ और बे को याद करते रहना है। सिर पर जो पापों का बोझा है उसे योगबल से उतारना है। अतीन्द्रिय सुख में रहना है। 
2) मुख से सिर्फ शिव-शिव नहीं करना है। बाप से सच्चा लव रखना है। कांटों से फूल बनाने की सेवा में तत्पर रहना है। 
वरदान: अपने भरपूर स्टॉक द्वारा खुशियों का खजाना बांटने वाले हीरो हीरोइन पार्टधारी भव 
संगमयुगी ब्राह्मण आत्माओं का कर्तव्य है सदा खुश रहना और खुशी बांटना लेकिन इसके लिए खजाना भरपूर चाहिए। अभी जैसा नाज़ुक समय नजदीक आता जायेगा वैसे अनेक आत्मायें आपसे थोड़े समय की खुशी की मांगनी करने के लिए आयेंगी। तो इतनी सेवा करनी है जो कोई भी खाली हाथ नहीं जाये। इसके लिए चेहरे पर सदा खुशी के चिन्ह हों, कभी मूड आफ वाला, माया से हार खाने वाला, दिलशिकस्त वाला चेहरा न हो। सदा खुश रहो और खुशी बांटते चलो-तब कहेंगे हीरो हीरोइन पार्टधारी। 
स्लोगन: एक दो की राय को रिगार्ड देना ही संगठन को एकता के सूत्र में बांधना है।