Thursday, May 24, 2012

Murli [24-05-2012]-Hindi

मुरली सार : ''मीठे बच्चे - तुम्हें बाप समान मीठा बनना है, किसी को दु:ख नहीं देना है, कभी क्रोध नहीं करना है 
प्रश्न: कर्मो की गुह्य गति को जानते हुए तुम बच्चे कौन सा पाप कर्म नहीं कर सकते? 
उत्तर: आज दिन तक दान को पुण्य कर्म समझते थे, लेकिन अब समझते हो दान करने से भी कई बार पाप बनता है क्योंकि अगर किसी ऐसे को पैसा दिया जो पैसे से पाप करे, उसका असर भी तुम्हारी अवस्था पर अवश्य ही पड़ेगा इसलिए दान भी समझकर करना है। 
गीत:- इस पाप की दुनिया से..... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अपनी चलन बहुत रॉयल रखनी है, बहुत कम और मीठा बोलना है। सजाओं से बचने के लिए कदम-कदम पर बाप की श्रीमत पर चलना है। 
2) पढ़ाई बहुत ध्यान से अच्छी तरह पढ़नी है। माँ बाप को फालो कर तख्तनशीन, वारिस बनना है। क्रोध के वश होकर दु:ख नहीं देना है। 
वरदान: बेहद के अधिकार को स्मृति में रख सम्पूर्णता की बधाईयां मनाने वाले मास्टर रचयिता भव 
संगमयुग पर आप बच्चों को वर्सा भी प्राप्त है, पढ़ाई के आधार पर सोर्स आफ इनकम भी है और वरदान भी मिले हुए हैं। तीनों ही सम्बन्ध से इस अधिकार को स्मृति में इमर्ज रखकर हर कदम उठाओ। अभी समय, प्रकृति और माया विदाई के लिए इन्तजार कर रही है सिर्फ आप मास्टर रचयिता बच्चे, सम्पूर्णता की बंधाईयां मनाओ तो वो विदाई ले लेगी। नॉलेज के आइने में देखो कि अगर इसी घड़ी विनाश हो जाए तो मैं क्या बनूंगा? 
स्लोगन: हर समय, हर कर्म में बैलेन्स रखो तो सर्व की ब्लैसिंग स्वत: प्राप्त होंगी।