Tuesday, May 22, 2012

Murli [22-05-2012]-Hindi

मुरली सार : ''मीठे बच्चे - शरीर निर्वाह अर्थ कर्म भल करो लेकिन कम से कम 8 घण्टा बाप को याद कर सारे विश्व को शान्ति का दान दो, आपसमान बनाने की सेवा करो'' 
प्रश्न: सूर्यवंशी घराने में ऊंच पद पाने का पुरुषार्थ क्या है? 
उत्तर: सूर्यवंशी घराने में ऊंच पद पाना है तो बाप को याद करो और दूसरों को कराओ। जितना-जितना स्वदर्शन चक्रधारी बनेंगे और बनायेंगे उतना ऊंच पद पायेंगे। 2- पुरुषार्थ कर पास विद् ऑनर बनो। ऐसा कोई कर्म न हो जो सजा खानी पड़े। सजा खाने वालों का पद भ्रष्ट हो जाता है। 
गीत:- इस पाप की दुनिया से.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप समान सर्वगुणों में फुल बनना है। आपस में बहुत प्यार से रहना है। कभी किसी को भी दु:ख नहीं देना है। 
2) चलते-फिरते बाप को याद करने का अभ्यास करना है। याद में रह सारे विश्व को शान्ति का दान देना है। 
वरदान: दूसरों के लिए रिमार्क देने के बजाए स्व को परिवर्तन करने वाले स्वचिंतक भव 
कई बच्चे चलते-चलते यह बहुत बड़ी गलती करते हैं-जो दूसरों के जज बन जाते हैं और अपने वकील बन जाते हैं। कहेंगे इसको यह नहीं करना चाहिए, इनको बदलना चाहिए और अपने लिए कहेंगे-यह बात बिल्कुल सही है, मैं जो कहता हूँ वही राइट है..। अब दूसरों के लिए ऐसी रिमार्क देने के बजाए स्वयं के जज बनो। स्वचिंतक बन स्वयं को देखो और स्वयं को परिवर्तन करो तब विश्व परिवर्तन होगा। 
स्लोगन: सदा हर्षित रहना है तो हर दृश्य को साक्षी होकर देखो।