Monday, May 21, 2012

Murli [21-05-2012]-Hindi

मुरली सार : ''मीठे बच्चे - तुम्हें शुद्ध नशा होना चाहिए कि हम श्रीमत पर अपने ही तन-मन-धन से खास भारत आम सारी दुनिया को स्वर्ग बनाने की सेवा कर रहे हैं'' 
प्रश्न: तुम बच्चों में भी सबसे अधिक सौभाग्यशाली किसको कहें? 
उत्तर: जो ज्ञान को अच्छी रीति धारण करते और दूसरों को भी कराते हैं, वे बहुत-बहुत सौभाग्यशाली हैं। अहो सौभाग्य तुम भारतवासी बच्चों का, जिन्हें स्वयं भगवान बैठकर राजयोग सिखला रहे हैं। तुम सच्चे-सच्चे मुख वंशावली ब्राह्मण बने हो। तुम्हारा यह झाड़ धीरे-धीरे बढ़ता जायेगा। घर-घर को स्वर्ग बनाने की सेवा तुम्हें करनी है। 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) सम्पूर्ण बनने के लिए याद की यात्रा से अपने विकर्मों का बोझ उतारना है, अच्छे मैनर्स धारण करना है। सभ्यता (फज़ीलत) से व्यवहार करना है। बहुत कम बोलना है। 
2) किसी भी बात में संशय बुद्धि नहीं बनना है। भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में अपना सब कुछ सफल करना है। शिवबाबा पर पूरा-पूरा बलि चढ़ना है। 
वरदान: बेहद की वैराग्य वृत्ति द्वारा मेरे-पन के रॉयल रूप को समाप्त करने वाले न्यारे-प्यारे भव 
समय की समीपता प्रमाण वर्तमान समय के वायुमण्डल में बेहद का वैराग्य प्रत्यक्ष रूप में होना आवश्यक है। यथार्थ वैराग्य वृत्ति का अर्थ है-सर्व के सम्बन्ध-सम्पर्क में जितना न्यारा, उतना प्यारा। जो न्यारा-प्यारा है वह निमित्त और निर्मान है, उसमें मेरेपन का भान आ नहीं सकता। वर्तमान समय मेरापन रॉयल रूप से बढ़ गया है-कहेंगे ये मेरा ही काम है, मेरा ही स्थान है, मुझे यह सब साधन भाग्य अनुसार मिले हैं... तो अब ऐसे रायॅल रूप के मेरे पन को समाप्त करो। 
स्लोगन: परचिंतन के प्रभाव से मुक्त होना है तो शुभचिंतन करो और शुभचिंतक बनो।