Friday, May 11, 2012

Murli [11-05-2012]-Hindi

11-05-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''बापदादा'' मधुबन 
मुरली सार : ''मीठे बच्चे - विजय माला में आना है तो निश्चयबुद्धि बनो, निराकार बाप हमें पढ़ाते हैं, वह साथ ले जायेंगे, इस निश्चय में कभी संशय न आये 
प्रश्न: विजयी रत्न बनने वालों की मुख्य निशानी क्या होगी? 
उत्तर: उन्हें कभी किसी बात में संशय नहीं आयेगा। वह निश्चयबुद्धि होंगे। उन्हें निश्चय होगा कि यह संगम का समय है। अब दु:खधाम पूरा हो सुखधाम आना है। 2- बाप ही राजयोग सिखला रहे हैं, वह देही-अभिमानी बनाकर साथ ले जायेंगे। वह अभी हम आत्माओं से बात करते हैं। हम उनके सम्मुख बैठे हैं। 3- परमात्मा हमारा बाप भी है, राजयोग की शिक्षा देते हैं इसलिए शिक्षक भी है और शान्तिधाम में ले जायेंगे इसलिए सतगुरू भी है। ऐसे निश्चयबुद्धि हर बात में विजयी होंगे। 
गीत:- तुम्हें पाके हमने.... 
धारणा के लिए मुख्य सार :- 
1) सचखण्ड का मालिक बनने के लिए बाप से सच्ची कमाई करनी है। बाप जो उस्ताद है उसकी याद में रह मायाजीत बनना है। 
2) बाप से बेहद का वर्सा लेने के लिए बाप की जो भी शिक्षायें मिलती हैं उन पर पूरा ध्यान देना है। उन शिक्षाओं को अच्छी रीति धारण करना है। 
वरदान: हदों से न्यारे रह परमात्म प्यार का अनुभव करने वाले रूहानियत की खुशबू से सम्पन्न भव 
जैसे गुलाब का पुष्प कांटों के बीच में रहते भी न्यारा और खुशबूदार रहता है, कांटों के कारण बिगड़ नहीं जाता। ऐसे रूहे गुलाब जो सर्व हदों से वा देह से न्यारे हैं, किसी भी प्रभाव में नहीं आते वे रूहानियत की खुशबू से सम्पन्न रहते हैं। ऐसी खुशबूदार आत्मायें बाप के वा ब्राह्मण परिवार के प्यारे बन जाते हैं। परमात्म प्यार अखुट है, अटल है, इतना है जो सभी को प्राप्त हो सकता है, लेकिन उसे प्राप्त करने की विधि है-न्यारा बनना। 
स्लोगन: अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए व्यक्त भाव और भावनाओं से परे रहो।