मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - इस कलियुग में सब रावण की जंजीरों में बंधे हुए, जीवन-बंध हैं, उन्हें जीवनमुक्त बनाना है''
प्रश्न :- कौन सा वर्सा आप ब्राह्मणों के साथ-साथ सभी मनुष्य आत्माओं को भी मिलता है?
उत्तर: जीवनमुक्त बनने का वर्सा सभी को मिलता है। तुम ब्रह्मा की औलाद ब्राह्मण बनते हो इसलिए तुम्हें 21 जन्मों के लिए जीवनमुक्ति का वर्सा मिलता है, बाकी सबको अपने-अपने धर्म में पहले-पहले जीवनमुक्ति अर्थात् सुख फिर दु:ख मिलता है। हर एक आधा समय सुख और आधा समय दु:ख भोगते हैं। बाकी हर एक स्वर्ग के सुख नहीं भोग सकते। उसके लिए तो ब्राह्मण बनना पड़े, पाठशाला में शिक्षा लेनी पड़े, माया पर विजयी बनना पड़े।
गीत:- मुखड़ा देख ले प्राणी......
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) कोई भी उल्टी चलन नहीं चलनी है। अच्छे गुण धारण करने हैं। मात-पिता को फालो करना है।
2) योगबल से काम, क्रोध के हल्के नशे को भी समाप्त करना है। निमित्त बन सबको रावण की जंजीरों से छुड़ाने की सेवा करनी है।
वरदान: त्रिकालदर्शी स्थिति में रह ड्रामा के हर समय के पार्ट को देखने वाले मास्टर नॉलेजफुल भव
त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित रहकर देखो कि हम क्या थे, क्या हैं और क्या होंगे.... इस ड्रामा में हमारा विशेष पार्ट नूंधा हुआ है। इतना स्पष्ट अनुभव हो कि कल हम देवता थे और फिर कल बनने वाले हैं। हमें तीनों कालों की नॉलेज मिल गई। जैसे कोई भी देश में जब टॉप प्वाइंट पर खड़े होकर सारे शहर को देखते हैं तो मजा आता है ऐसे संगमयुग टॉप प्वाइंट है, इस पर खड़े होकर नॉलेजफुल बन हर पार्ट को देखो तो बहुत मजा आयेगा।
स्लोगन: जो सदा योगयुक्त हैं उन्हें सर्व का सहयोग स्वत: प्राप्त होता है।
प्रश्न :- कौन सा वर्सा आप ब्राह्मणों के साथ-साथ सभी मनुष्य आत्माओं को भी मिलता है?
उत्तर: जीवनमुक्त बनने का वर्सा सभी को मिलता है। तुम ब्रह्मा की औलाद ब्राह्मण बनते हो इसलिए तुम्हें 21 जन्मों के लिए जीवनमुक्ति का वर्सा मिलता है, बाकी सबको अपने-अपने धर्म में पहले-पहले जीवनमुक्ति अर्थात् सुख फिर दु:ख मिलता है। हर एक आधा समय सुख और आधा समय दु:ख भोगते हैं। बाकी हर एक स्वर्ग के सुख नहीं भोग सकते। उसके लिए तो ब्राह्मण बनना पड़े, पाठशाला में शिक्षा लेनी पड़े, माया पर विजयी बनना पड़े।
गीत:- मुखड़ा देख ले प्राणी......
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) कोई भी उल्टी चलन नहीं चलनी है। अच्छे गुण धारण करने हैं। मात-पिता को फालो करना है।
2) योगबल से काम, क्रोध के हल्के नशे को भी समाप्त करना है। निमित्त बन सबको रावण की जंजीरों से छुड़ाने की सेवा करनी है।
वरदान: त्रिकालदर्शी स्थिति में रह ड्रामा के हर समय के पार्ट को देखने वाले मास्टर नॉलेजफुल भव
त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित रहकर देखो कि हम क्या थे, क्या हैं और क्या होंगे.... इस ड्रामा में हमारा विशेष पार्ट नूंधा हुआ है। इतना स्पष्ट अनुभव हो कि कल हम देवता थे और फिर कल बनने वाले हैं। हमें तीनों कालों की नॉलेज मिल गई। जैसे कोई भी देश में जब टॉप प्वाइंट पर खड़े होकर सारे शहर को देखते हैं तो मजा आता है ऐसे संगमयुग टॉप प्वाइंट है, इस पर खड़े होकर नॉलेजफुल बन हर पार्ट को देखो तो बहुत मजा आयेगा।
स्लोगन: जो सदा योगयुक्त हैं उन्हें सर्व का सहयोग स्वत: प्राप्त होता है।