Saturday, February 25, 2012

Murli [25-02-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम प्यार से कहते हो मीठे बाबा, तो मुख में रस आ जाता, ईश्वर वा प्रभू कहने से वह रस नहीं आता''
प्रश्न: कौन सा धन्धा सर्वशक्तिमान् बाप का है, मनुष्यों का नहीं?
उत्तर: पतित आत्माओं को पावन बनाना, सारे विश्व को नया बनाना - यह धन्धा बाप का है, बाप ही पावन बनने की शक्ति देते हैं। यह धन्धा मनुष्य नहीं कर सकते। मनुष्य तो समझते हैं भगवान जो चाहे वह कर सकता है, हमारी बीमारी भी ठीक कर सकता है। बाबा कहते हैं मैं ऐसी आशीर्वाद नहीं करता। मैं तो पावन बनने की युक्ति बताता हूँ।
गीत:- जाग सजनियां जाग...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) आत्मा रूपी दीपक को सदा जाग्रत रखने के लिए याद का घृत डालते रहना है। याद से आत्मा को सतोप्रधान बनाना है।
2) सदा ज्ञान सोझरे में रहना है। बेहद नाटक (ड्रामा) को बुद्धि में रख स्वदर्शन चक्रधारी बनना है।
वरदान: कल्याणकारी युग में स्वयं का और सर्व का कल्याण करने वाले प्रकृतिजीत, मायाजीत भव
इस कल्याणकारी युग में, कल्याणकारी बाप के साथ-साथ आप बच्चे भी कल्याणकारी हो। आपकी चैलेन्ज है कि हम विश्व परिवर्तक हैं। दुनिया वालों को सिर्फ विनाश दिखाई देता इसलिए समझते हैं - यह अकल्याण का समय है लेकिन आपके सामने विनाश के साथ स्थापना भी स्पष्ट है और मन में यही शुभ भावना है कि अब सर्व का कल्याण हो। मनुष्यात्मायें तो क्या प्रकृति का भी कल्याण करने वाले ही प्रकृतिजीत, मायाजीत कहलाते हैं, उनके लिए प्रकृति सुखदाई बन जाती है।
स्लोगन: न्यारे-प्यारे होकर कर्म करने वाले ही संकल्पों पर सेकण्ड में फुलस्टॉप लगा सकते हैं।