Thursday, February 23, 2012

Murli [23-02-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम बच्चों को आप समान अशरीरी बनाने, जब तुम अशरीरी बनो तब बाप के साथ चल सको।''
प्रश्न: बाप के किस फरमान पर चलने वाले निरन्तर योगी बन सकते हैं?
उत्तर: बाप का पहला फरमान है कि बच्चे इस देह को तुम्हें भूलना है। इसको भूल अपने को आत्मा निश्चय करो तो बाप की याद निरन्तर रहेगी। सदैव एक ही पाठ पक्का करो कि मैं आत्मा निराकारी दुनिया की रहने वाली हूँ, इससे तुम्हारा देह-अहंकार खत्म हो जायेगा। बुद्धि में किसी भी देहधारी की याद न आये तो निरन्तर योगी बन सकते हो।
गीत:- तुम्हें पा के हमने जहाँ पा लिया है...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) हम ब्राह्मण चोटी सबसे उत्तम हैं, इस नशे में रह श्रीमत पर भारत को श्रेष्ठ से श्रेष्ठ बनाने की सेवा करनी है। आस्तिक बनना और बनाना है।
2) देह-अहंकार को छोड़ आत्म-अभिमानी बनना है। विचित्र (अशरीरी) बनने का पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है।
वरदान: स्वराज्य के साथ बेहद की वैराग वृत्ति को धारण करने वाले सच्चे-सच्चे राजॠषि भव
एक तरफ राज्य और दूसरे तरफ ॠषि अर्थात् बेहद के वैरागी। ऐसे राजॠषि का कहाँ भी - चाहे अपने में, चाहे व्यक्ति में, चाहे वस्तु में, लगाव नहीं हो सकता क्योंकि स्वराज्य है तो मन-बुद्धि-संस्कार सब अपने वश में हैं और वैराग्य है तो पुरानी दुनिया में संकल्प मात्र भी लगाव जा नहीं सकता इसलिए स्वयं को राजॠषि समझना अर्थात् राजा के साथ-साथ बेहद के वैरागी बनना।
स्लोगन: समझदार वह है जो सब आधार टूटने के पहले एक बाप को अपना आधार बना ले।