Wednesday, February 22, 2012

Murli [22-02-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सदा इसी नशे में रहो कि ज्ञान सागर बाप ने ज्ञान देकर हमें स्वदर्शन चक्रधारी, त्रिकालदर्शी बनाया है, हम हैं ब्रह्मा वंशी ब्राह्मण''
प्रश्न: तुम बच्चे ब्राह्मण बनते ही पदमापदम भाग्यशाली बन जाते हो - कैसे?
उत्तर: ब्राह्मण बनना अर्थात् सेकेण्ड में जीवनमुक्ति प्राप्त करना। बाप का बच्चा बना और वर्से का अधिकार मिला। तो जीवनमुक्ति तुम्हारा हक है, इसलिए तुम पदमापदम भाग्यशाली हो। बाकी इस मृत्युलोक में तो कोई सौभाग्यशाली भी नहीं। अकाले मृत्यु होता रहता है। तुम बच्चे अभी काल पर जीत पाते हो। तुम्हें त्रिकालदर्शी-पने का भी ज्ञान है। शिवबाबा 21 जन्मों के लिए तुम्हारी झोली भर रहे हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) इस पुरानी दुनिया को बुद्धि से भूल बेहद का वैरागी बनना है। देह-अभिमान के भूत को निकाल देना है।
2) बाप समान ओबीडियन्ट बन सेवा करनी है। आप समान बनाना है। किसी भी बात में मूँझना नहीं है।
वरदान: हर घड़ी को अन्तिम घड़ी समझ सदा एवररेडी रहने वाले तीव्र पुरूषार्थी भव
जो बच्चे तीव्र पुरूषार्थी हैं वह हर घड़ी को अन्तिम घड़ी समझकर एवररेडी रहते हैं। ऐसा नहीं सोचते कि अभी तो विनाश होने में कुछ टाइम लगेगा, फिर तैयार हो जायेंगे। उस अन्तिम घड़ी को देखने के बजाए यही सोचो कि अपनी अन्तिम घड़ी का कोई भरोसा नहीं इसलिए एवररेडी, अपनी स्थिति सदा उपराम रहे। सबसे न्यारे और बाप के प्यारे, नष्टोमोहा। सदा निर्मोही और निर्विकल्प, निरव्यर्थ, व्यर्थ भी न हो तब कहेंगे एवररेडी।
स्लोगन: नाजुक समय पर पास विद ऑनर बनना है तो एडॅजेस्ट होने की शक्ति को बढ़ाओ।