Tuesday, February 21, 2012

Murli [21-02-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे आज्ञाकारी बच्चे - तुम्हें सदा अतीन्द्रिय सुख में रहना है, कभी भी रोना नहीं है क्योंकि तुम्हें अभी ऊंचे ते ऊंचा बाप मिला है''
प्रश्न: अतीन्द्रिय सुख तुम गोप गोपियों का गाया हुआ है, देवताओं का नहीं - क्यों?
उत्तर: क्योंकि तुम अभी ईश्वर की सन्तान बने हो। तुम मनुष्य को देवता बनाने वाले हो। जब देवता बन जायेंगे तब फिर उतरना शुरू करेंगे, डिग्री कम होती जायेगी इसलिए उनके सुख का गायन नहीं है। यह तो तुम बच्चों के सुख का गायन करते हैं।
गीत:- मुझको सहारा देने वाले...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) कदम-कदम बाप की राय पर चलना है। पूरा-पूरा बलिहार जाना है। जहाँ बिठायें, जो खिलायें... ऐसा आज्ञाकारी होकर रहना है।
2) अपनी चलन बहुत रॉयल ऊंची रखनी है, हम ईश्वरीय औलाद हैं इसलिए बड़ी रॉयल्टी से चलना है, कभी भी रोना नहीं है।
वरदान: मास्टर सर्वशक्तिमान् की स्मृति द्वारा सर्व हलचलों को मर्ज करने वाले अचल-अडोल भव
जैसे शरीर का आक्यूपेशन इमर्ज रहता है, ऐसे ब्राह्मण जीवन का आक्यूपेशन इमर्ज रहे और उसका हर कर्म में नशा हो तो सर्व हलचलें मर्ज हो जायेंगी और आप सदा अचल-अडोल रहेंगे। मास्टर सर्व शक्तिमान् की स्मृति सदा इमर्ज है तो कोई भी कमजोरी हलचल में ला नहीं सकती क्योंकि वे हर शक्ति को समय पर कार्य में लगा सकते हैं, उनके पास कन्ट्रोलिंग पावर रहती है इसलिए संकल्प और कर्म दोनों समान होते हैं।
स्लोगन: नाज़ुक परिस्थितियों में घबराने के बजाए उनसे पाठ पढ़कर स्वयं को परिपक्व बना लो।