मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सिर पर विकर्मो का बोझा बहुत है, इसलिए अब तक शारीरिक बीमारियां आदि आती हैं, जब कर्मातीत बनेंगे तो कर्मभोग चुक्तू हो जायेंगे''
प्रश्न: सभी का अटेन्शन खिंचवाने के लिए इस युनिवर्सिटी का कौन सा नाम होना चाहिए?
उत्तर: सच्चा-सच्चा ज्ञान विज्ञान भवन, पाण्डव भवन। ज्ञान अर्थात् नॉलेज से वेल्थ और विज्ञान अर्थात् योग से हेल्थ मिलती है सो भी 21 जन्मों के लिए। तो तुम बच्चों को; मनुष्य को मुक्ति जीवनमुक्ति देने के लिए ज्ञान विज्ञान की प्रदर्शनी लगानी चाहिए। ज्ञान विज्ञान भवन नाम से सबका अटेन्शन जायेगा।
गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) श्रीमत पर चलकर श्रेष्ठाचारी बनना है। काम महाशत्रु पर विजयी बन सम्पूर्ण निर्विकारी बनना है। अत्याचारों से डरना नहीं है।
2) योगबल से आत्मा को शुद्ध बनाना है। त्रिकालदर्शी, त्रिलोकीनाथ बन दूसरों को आप समान बनाने की सेवा में बिजी रहना है। सब धर्म वालों को सन्देश जरूर देना है।
वरदान: दु:ख की लहरों से न्यारे रह प्रभू प्यार का अनुभव करने वाले खुशी के खजाने से सम्पन्न भव
संगम के समय दु:ख के लहरों की कई बातें सामने आयेंगी लेकिन अपने अन्दर वो दु:ख की लहर दुखी नहीं करे। जैसे गर्मी की मौसम में गर्मी होगी लेकिन स्वयं को बचाना अपने ऊपर है। तो दुख की बातें सुनते हुए भी दिल पर उसका प्रभाव न पड़े। जब ऐसे दुख की लहरों से न्यारे बनो तब प्रभू का प्यारा बनेंगे। जो ऐसे न्यारे और परमात्म प्यारे हैं वही खुशियों के खजाने से सम्पन्न रहते हैं।
स्लोगन: त्रिकालदशी वा त्रिनेत्री वह है जो माया के बहुरूपों को सहज ही पहचान ले।