Saturday, July 25, 2015

मुरली 26 जुलाई 2015

संगमयुगी बादशाही और सतयुगी बादशाही

वरदान:

ईश्वरीय नशे द्वारा पुरानी दुनिया को भूलने वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न भव

जैसे वह नशा सब कुछ भुला देता है, ऐसे यह ईश्वरीय नशा दु:खों की दुनिया को सहज ही भुला देता है। उस नशे में तो बहुत नुकसान होता है, अधिक पीने से खत्म हो जाते हैं लेकिन यह नशा अविनाशी बना देता है। जो सदा ईश्वरीय नशे में मस्त रहते हैं वह सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन जाते हैं। एक बाप दूसरा न कोई-यह स्मृति ही नशा चढ़ाती है। इसी स्मृति से समर्थी आ जाती है।

स्लोगन:

एक दो को कॉपी करने के बजाए बाप को कॉपी करो।


ओम् शांति ।

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26-07-15 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज:07-1-80 मधुबन

संगमयुगी बादशाही और सतयुगी बादशाही
बाप-दादा आज संगमयुगी बेग़मपुर के बादशाहों की सभा देख रहे हैं। संगमयुग है ही बेग़मपुर। सगंमयुगी सर्व ब्राह्मण बेग़मपुर के बादशाह हैं। सतयुगी बादशाही इस संगमयुग की बेग़मपुर की बादशाही के आगे कुछ भी नहीं है। वर्तमान समय की प्राप्ति का नशा, खुशी, सतयुग की बादशाही से पद्मगुणा श्रेष्ठ है।

आज वतन में सतयुगी बादशाही और संगमयुगी बादशाही दोनों के अन्तर पर रूह-रूहान चल रही थी। सतयुग की बादशाही की बातें तो उस दिन बहुत सुनी, और खुश भी बहुत हुए। लेकिन संगमयुग की श्रेष्ठता कितनी श्रेष्ठ है, उसके भी अनुभवी हो ना?

1- सतयुग की दिनचर्या में प्रकृति में नेचुरल साज़ जगायेंगे लेकिन संगमयुगी ब्राह्मणों के आदिकाल - अमृतबेले से श्रेष्ठता देखो तो कितनी महान है। वहाँ प्रकृति का साधन है और संगमयुग पर आदिकाल अर्थात् अमृतबेले कौन जगाता है? स्वयं प्रकृति का मालिक भगवान तुम्हें जगाता है। 2- मधुर साज़ कौन सा सुनते हो? बाप रोज़ “बच्चे - मीठे बच्चे” कहकर बुलाते हैं। यह नेचुरल साज़, ईश्वरीय साज़ सतयुगी प्रकृति के साज़ से कितना महान है। उसके अनुभवी हो ना? तो सतयुगी साज़ महान है या ये संगमयुग के साज़ महान हैं? साथ-साथ सतयुग के संस्कार और प्रारब्ध बनाने व भरने का समय है। संस्कार भरते हैं, प्रारब्ध बनती है। इसी संगमयुग पर ही सब होता है। 3- वहाँ सतोप्रधान अति स्वादिष्ट रस वाले, वृक्ष के फल खायेंगे। यहाँ वृक्षपति द्वारा सर्व सम्बन्धों के रस, सर्व प्राप्ति-सम्पन्न प्रत्यक्ष फल खाते हो। 4- वह गोल्डन एज का फल है और यह डायमन्ड एज का फल है, तो श्रेष्ठ कौन-सा हुआ? 5- वहाँ दास-दासियों के हाथ में पलेंगे यहाँ बाप के हाथों में पल रहे हो। 6- वहाँ महान आत्माएं माँ-बाप होंगे, यहाँ परमात्मा माता-पिता हैं। 7- वहाँ रतन जड़ित झूलों में झूलेंगे यहाँ सबसे बड़े-से-बड़ा झूला कौन-सा है, वह जानते हो? बाप की गोदी झूला है। बच्चे के लिए सबसे प्यारा झूला माता-पिता की गोदी है सिर्फ एक झूला भी नहीं, भिन्न-भिन्न झूलों में झूल सकते हो। अतीन्द्रिय सुख का झूला, खुशियों का झूला, वहाँ रत्न जड़ित झूला है और यह झूला कितना महान है। 8- वहाँ रत्नों से खेलेंगे, खिलौनों से खेलेंगे, आपस में खेलेंगे लेकिन यहाँ बाप कहते हैं सदा मेरे से, जिस भी रूप में चाहो उस रूप में खेल सकते हो। सखा बन करके खेल सकते हो, बन्धु बनाकर भी खेल सकते हो। बच्चा बन करके भी खेल सकते हो, बच्चा बनाकर भी खेल सकते हो। ऐसा अविनाशी खिलौना तो कभी नहीं मिलेगा। जो न टूटेगा न फूटेगा और खर्चा भी नहीं करना पड़ेगा। 9- वहाँ आराम से गदेलों पर सोयेंगे, यहाँ याद के गदेलों पर सो जाओ। 10- वहाँ निन्द्रा-लोक में चले जाते हो लेकिन संगम पर बाप के साथ सूक्ष्मवतन में चले जाओ। 11- वहाँ के विमानों में सिर्फ एक लोक का सैर कर सकेंगे अब बुद्धि रूपी विमान द्वारा तीनों लोकों का सैर कर सकते हो। 12- वहाँ विश्वनाथ कहलायेंगे और अब त्रिलोकीनाथ हो। 13- वहाँ दो नेत्री होंगे, यहाँ तीन नेत्री हो। 14- संगमयुग के अन्तर में अर्थात् नालेजफुल, पावरफुल, ब्लिसफुल इसके अन्तर में वहाँ क्या बन जायेंगे? रॉयल बुद्धू बन जायेंगे। 15- दुनिया के हिसाब से परमपूज्य होंगे, विश्व द्वारा माननीय होंगे लेकिन नालेज के हिसाब से महान अन्तर पड़ जायेगा। 16- यहाँ तो गुडमार्निग, गुडनाईट बाप से करते हो और वहाँ आत्माएं आत्माओं से करेंगी। 17- वहाँ विश्व राज्य-अधिकारी होंगे, राज्य-कर्ता होंगे और यहाँ विश्व कल्याणकारी, महादानी, वरदानी हो। तो श्रेष्ठ कौन हुए? सतयुगी बातें सुनकर तो खुश हुए अभी सदा खुशी स्वरूप बन जाओ। 18- वहाँ वैराइटी प्रकार का भोजन खायेंगे और यहाँ ब्रह्मा भोजन खाते जिसकी महिमा देवताओं के भोजन से भी अति श्रेष्ठ है। तो सदा सतयुगी प्रारब्ध और वर्तमान समय के महत्व और प्राप्ति को साथ-साथ रखो। तो वर्तमान समय को जानते हुए हर सेकेण्ड और संकल्प को श्रेष्ठ बना सकेंगे। समझा।

आज पंजाब का ज़ोन आया है। पंजाब की दो विशेषतायें हैं। एक पंजाब का पानी और दूसरा पंजाब की खेती। उस गवर्मेन्ट ने पंजाब में दो विशेषतायें दिखाई हैं और पाण्डव गवर्मेन्ट की तरफ से पंजाब ने क्या विशेषता दिखाई है। पंजाब ने ज्ञान नदियाँ रूपी हैन्ड्स तो निकाले लेकिन वन्डर भी किया है। पंजाब की नदियाँ पंजाब में ही बहुत हैं, चारों ओर कम जाती हैं। पंजाब की नदियाँ पंजाब में ही रहती हैं इसलिए पंजाब का पानी मशहूर हो गया है। जैसे पंजाब में बिना सीजन के भी अनाज पैदा कर लेते हैं, ऐसे साधन बनाये हैं। तो पंजाब वालों को 12 ही मास के 12 ही फल देने चाहिए। जब साइन्स की शक्ति से बिना सीजन के अनाज पैदा कर लेते हैं तो क्या साइलेन्स की शक्ति संगमयुग की फुल सीजन होते हुए भी हर मास का फल नहीं दे सकती? जैसे वह लोग साधन अपनाते हैं जो असम्भव से सम्भव करके दिखाते हैं तो साधना द्वारा पंजाब की धरती को परिवर्तित करो। प्रत्यक्ष फल देना पड़े। पंजाब को यह नये वर्ष में स्लोगन याद रखना है। कौन-सा स्लोगन? “तुरंत दान महापुण्य” अभी तो ज्ञान गंगाओं का पार्ट है, पाण्डव बैकबोन हैं। लेकिन आगे निमित्त तो शक्तियों को रखेंगे। इसमें भी पाण्डवों का फायदा है, नहीं तो डन्डे खाने पड़ेंगे। विशेष पंजाब में तो बहुत डन्डे पड़ेंगे इसलिए शक्तियाँ गाइड और पाण्डव गार्ड ठीक हैं। गार्ड और गॉड रास मिल जाती है। जैसे बाप बैकबोन हो के शक्तियों को आगे करते हैं वैसे पाण्डव भी बाप-समान बैकबोन हो शक्तियों को आगे रखें। तो अब नये वर्ष में पंजाब क्या नवीनता दिखायेगा? धरती परिवर्तन की नवीनता। समझा।

विदेश सेवा में अच्छे-अच्छे महावीर महावीरनियाँ साइन्स पर साइलेन्स पावर से विजय प्राप्त करने वाले तैयार हो रहे हैं। अच्छे-अच्छे सर्विसएबुल, बाप की भुजायें तैयार हुई पड़ी हैं। राइट हैन्ड्स हैं। राइट हैन्ड्स द्वारा सदा श्रेष्ठ और सहज कार्य होता है। तो विदेश में राइट हैन्ड्स तैयार हो रहे हैं। अच्छा, फिर मिलेंगे तो विशेषता सुनायेंगे। देश और विदेश के दोनों बच्चों को बाप-दादा मुबारक देते हैं। जो नज़दीक व दूर से मिलन मेले में पहुँच गये हैं।

ऐसे सदा बाप से मिलन मनाने वाले, दिन-रात “एक बाप दूसरा न कोई” इसी धुन में रहने वाले, सदा विश्व की आत्माओं प्रति सर्व खज़ानों से महादान और वरदान देने वाले, सदा संगमयुग की विशेषता को सामने रख श्रेष्ठ भाग्य के स्मृति- स्वरूप, ऐसे सदा श्रेष्ठ वृत्ति, श्रेष्ठ वायब्रेशन द्वारा विश्व-कल्याणकारी आत्माओं को बाप-दादा का याद, प्यार और नमस्ते।

पार्टियों से मुलाकात

पंजाब ज़ोन - पंजाब वासियों को विशेष आत्मा होने के कारण विशेष फल अवश्य देना पड़े। पंजाब में विशेष अकाल तख्त का यादगार है। जहाँ तख्त का यादगार है वहाँ के निवासी स्वयं भी सदा अकालतख्त पर विराजमान हैं। अपनी कर्मेन्द्रियों द्वारा साक्षी हो कार्य करते हुए स्वराज्य अधिकारी हो। अकाल-तख्तनशीन आत्मा अर्थात् राज्य-अधिकारी। ऐसे राज्य अधिकारी बन करके चलते हो? कर्मेन्द्रियों के अधीन तो नहीं होते। जहाँ अधीनता होगी, वहाँ कमजोरी होगी। आधा कल्प कमज़ोर रहे अब अपना राज्य लिया है? राज्य अथवा अधिकार लेने के बाद अधीनता समाप्त हो जाती है। तो राज्य अधिकारी हो ना। कोई कर्मेन्द्रिय अर्थात् कार्यकर्ता आपके ऊपर राज्य तो नहीं करता। जैसे आजकल की दुनिया में प्रजा का प्रजा पर राज्य है, वैसे आपके जीवन में प्रजा का राज्य तो नहीं है ना। प्रजा हैं यह कर्मेन्द्रियाँ। प्रजा के राज्य में सदा हलचल रहती है और राजा के राज्य में अचल राज्य चलता। तो अचल राज्य चल रहा है ना?

वर्तमान समय संकल्प की हलचल भी बड़ी गिनी जायेगी। पहले समय था जब संकल्प को फ़्री छोड़ दिया, वाचा, कर्मणा पर अटेन्शन रखते थे लेकिन अभी मन्सा भी हलचल न हो क्योंकि लास्ट में है ही मन्सा द्वारा विश्व-परिवर्तन। अभी मन्सा का एक संकल्प भी व्यर्थ हुआ तो बहुत कुछ गँवाया। एक संकल्प को भी साधारण बात न समझो। इतना अटेन्शन। अब समय बदल गया, पुरूषार्थ की गति भी बदल गई। तो संकल्प में ही फुलस्टाप चाहिए। मन्सा पर भी अटेन्शन हो इसको ही कहा जाता है - चढ़ती कला। सदा चढ़ती कला रहे, अभी सदा का ही सौदा है।

अव्यक्त बाप-दादा से पर्सनल मुलाकात - डबल विदेशी भाई बहिनों की

लण्डन:- सदा अपने होलीलैण्ड की स्मृति में रहते हो? होलीलैण्ड में रहने वाले सदा अपनी होली स्टेज में स्थित रहेंगे। अपने को सदा सम्पूर्ण पवित्र आत्मा की स्टेज पर अनुभव करते हो? जब यहाँ पवित्रता के ताजधारी बनते हो तब वहाँ रत्नजड़ित ताज भी मिलेगा। सदा अपने ऊपर लाइट का क्राउन अनुभव करो। जो राजकुमार और राजकुमारियाँ होती हैं वे ताजधारी होते हैं ना। आप तो साहेबजादे और साहेबजादियाँ हो तो बिगर ताज हो कैसे सकते। लण्डन निवासी तो सभी ताजधारी हैं ना? ऐसे ताजधारी जो सब आपके क्राउन को देख नमस्कार करें।

सदा इसी स्मृति में रहो कि हम प्योर आत्मायें प्योरिटी के लाइट के ताजधारी हैं। माया आपके ताज को उतारती तो नहीं है ना? अभी माया को यहाँ ही विदाई देकर जाना। माया का रूप परिवर्तित करके जाना। दुश्मन के बजाए खिलौने के रूप में आये। इस नये वर्ष में यही परिवर्तन करो।

अमेरिका:- पाँच पाण्डव हैं, पाँच पाण्डवों ने कल्प पहले भी क्या कमाल की थी, 5 होते हुए भी कितनी अक्षोहिणी सेना के ऊपर विजयी बने। विजय का झण्डा लहराने वाली पाण्डव सेना हो ना? एक-एक पाण्डव कितने के बराबर हो। वह अक्षोहिणी सेना, यह 5 पाण्डव। तो कितने वैल्यूबल और अमूल्य हो। अभी अमेरिका के चारों ओर फैल जाओ। जैसे जाल बिछाई जाती है ना, ऐसे अपने योग शक्ति का जाल बिछा दो तो जो भी भटकती हुई आत्मायें होंगी वह पहुँच जायेंगी। अमेरिका में विशेष खुशी और शान्ति की अभिलाषी आत्मायें ज्यादा हैं, उन्हें खुशी और शान्ति का दान देते रहो तो बहुतों की आशीर्वाद मिल जायेगी।

ग्याना पार्टी:- सदा सर्विसएबुल रत्न हो ना? हरेक के अन्दर सेवा का संस्कार ऐसे भरा हुआ है जैसे शरीर में खून समाया हुआ है। जैसे अगर खून निकल जाए तो शरीर बेकार हो जाता है। ऐसे सेवा नहीं करते तो ऐसे ही बन जाते हैं जैसे जीते हुए भी मरे के समान हैं। सेवा ही ब्राह्मण जीवन का विशेष आधार है। सभी के अन्दर सेवा ही समाई हुई हो। सर्विसएबुल का तिलक सबके मस्तक पर लगा हुआ हो, ग्याना वालों ने भी सर्विस का सबूत अच्छा दिखाया है। ग्याना के विशेष व्यक्तियों का दृष्टान्त देकर अनेक स्थानों पर सेवा होगी। ग्याना के सर्विस में विशेष निमित्त बने हुए हैं। जैसे नयनों में तारा समाया हुआ है वैसे जो बाप-दादा के सिकीलधे रत्न हैं वे भी नयनों में समाये हुए हैं।

जर्मनी पार्टी:- जर्मनी ग्रुप को तो बहुत ही कमाल करनी है। जर्मन वाले भविष्य के लिए ऐसा ग्रुप तैयार करो जो भविष्य में आकर आपकी सेवा के निमित्त बने। सतयुग में भी एटॉमिक एनर्जी का कार्य चलना है। तो जर्मनी में सम्पर्क में आई हुई आत्मायें ऐसे कार्य के निमित्त वहाँ बनेंगी।

आप तो मालिक बनेंगे लेकिन सम्पर्क में ऐसे आयेंगे जो सेवा के निमित्त बनेंगे। तो जर्मनी को बहुत सेवा करनी है। हिम्मते बच्चे मददे बाप। जो सम्पर्क में आये उनकी सेवा करते चलो।

2- स्वदर्शन चक्रधारी कभी भी चढ़ती कला और उतरती कला का चक्र नहीं चला सकते। अभी बीती सो बीती। जैसे पिछला वर्ष खत्म हुआ वैसे यह संस्कार भी खत्म हो जाएं। संस्कार रूप से परिवर्तन। संस्कार है बीज। अगर बीज खत्म हो जायेगा तो वृक्ष पैदा नहीं होगा। बीज, वृक्ष को पैदा न करे उसके लिए उसे आग में जलाया जाता है। तो कमजोरियों के संस्कार रूपी बीज को याद के लगन की अग्नि में जला दो तो वृक्ष पैदा नहीं होगा अर्थात् मन-वाणी और कर्म में कमजोरी आयेगी ही नहीं। जैसे होली जलाने में होशियार हो ऐसे होली (पवित्र) बनने की होली जलाना तो होली (पवित्र) हो जायेंगे। कमजोरियों को जला दिया तो विघ्न-विनाशक बन जायेंगे। सदा यह टाइटिल याद रखो कि हम विघ्न-विनाशक हैं। स्व के साथ-साथ विश्व के भी विघ्न-विनाशक। अब विश्व की सेवा में लगना ही पड़ेगा।
वरदान:
ईश्वरीय नशे द्वारा पुरानी दुनिया को भूलने वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न भव   
जैसे वह नशा सब कुछ भुला देता है, ऐसे यह ईश्वरीय नशा दु:खों की दुनिया को सहज ही भुला देता है। उस नशे में तो बहुत नुकसान होता है, अधिक पीने से खत्म हो जाते हैं लेकिन यह नशा अविनाशी बना देता है। जो सदा ईश्वरीय नशे में मस्त रहते हैं वह सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन जाते हैं। एक बाप दूसरा न कोई-यह स्मृति ही नशा चढ़ाती है। इसी स्मृति से समर्थी आ जाती है।
स्लोगन:
एक दो को कॉपी करने के बजाए बाप को कॉपी करो।