याद करो, बाप से मीठी-मीठी रूहरिहान करो''
प्रश्न:- तुम बच्चों की हर बात में अर्थ है, अर्थ सहित शब्द कौन बोल सकता है?
उत्तर:- जो देही-अभिमानी है, वही हर बोल अर्थ सहित बोल सकता है। बाप तुम्हें संगम पर जो भी सिखलाते
हैं, वह अर्थ सहित है। देह-अभिमान में आकर मनुष्य जो कुछ बोलते हैं वह सब अर्थ के बिना अनर्थ है। उससे
कोई फल नहीं निकलता, फायदा नहीं होता।
गीत:- नैन हीन को राह दिखाओ प्रभु ...........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पुरूषार्थ कर अपनी भविष्य कमाई में लग जाना है, ड्रामा में होगा तो कर लेंगे, यह कहकर पुरूषार्थ हीन
नहीं बनना है।
2) सारे दिन में जो भी पाप होते हैं या किसी को दु:ख देते हैं तो नोट करना है। सच्चाई से बाप को सुनाना है,
साफ दिल बन एक बाप की याद से सब हिसाब चुक्तू करने हैं।
वरदान:- अपने श्रेष्ठ जीवन द्वारा परमात्म ज्ञान का प्रत्यक्ष प्रूफ देने वाले माया प्रूफ भव
स्वयं को परमात्म ज्ञान का प्रत्यक्ष प्रमाण वा प्रूफ समझने से माया प्रूफ बन जायेंगे। प्रत्यक्ष प्रूफ है -आपकी
श्रेष्ठ पवित्र जीवन। सबसे बड़ी असम्भव से सम्भव होने वाली बात प्रवृत्ति में रहते पर-वृत्ति में रहना। देह और
देह की दुनिया के संबंधों से पर (न्यारा) रहना। पुराने शरीर की आंखों से पुरानी दुनिया की वस्तुओं को देखते
हुए न देखना अर्थात् सम्पूर्ण पवित्र जीवन में चलना - यही परमात्मा को प्रत्यक्ष करने वा माया प्रूफ बनने
का सहज साधन है।
स्लोगन:- अटेन्शन रूपी पहरेदार ठीक हैं तो अतीन्द्रिय सुख का खजाना खो नहीं सकता।