Monday, May 25, 2015

मुरली 26 मई 2015

"मीठे बच्चे - अपना स्वभाव बाप समान इजी बनाओ, तुम्हारे में कोई घमण्ड नहीं होना चाहिए, ज्ञानयुक्त बुद्धि हो, अभिमान न हो" प्रश्न:- सर्विस करते हुए भी कई बच्चे बेबी से भी बेबी हैं - कैसे? उत्तर:- कई बच्चे सर्विस करते रहते हैं, दूसरों को ज्ञान सुनाते रहते हैं लेकिन बाप को याद नहीं करते। कहते हैं बाबा याद भूल जाती है। तो बाबा उन्हें बेबी से भी बेबी कहता क्योंकि बच्चे कभी बाप को भूलते नहीं, तुम्हें जो बाप प्रिन्स-प्रिन्सेज बनाता, उसे तुम भूल क्यों जाते? अगर भूलेंगे तो वर्सा कैसे मिलेगा। तुम्हें हाथों से काम करते भी बाप को याद करना है। धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) एम ऑब्जेक्ट को सामने रख खुशी में रहना है। कभी दिलहोल (दिलशिकस्त) नहीं बनना है - यह ख्याल कभी न आये कि सब थोड़ेही राजा बनेंगे। पुरूषार्थ कर ऊंच पद पाना है। 2) मोस्ट बिलवेड बाप को बड़े प्यार से याद करना है, इसमें बेबी नहीं बनना है। याद के लिए सवेरे का टाइम अच्छा है। आराम से शान्ति में बैठ याद करो। वरदान:- अपने महत्व व कर्तव्य को जानने वाले सदा जागती ज्योत भव! आप बच्चे जग की ज्योति हो, आपके परिवर्तन से विश्व का परिवर्तन होना है-इसलिए बीती सो बीती कर अपने महत्व वा कर्तव्य को जानकर सदा जागती-ज्योत बनो। आप सेकण्ड में स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन कर सकते हो। सिर्फ प्रैक्टिस करो अभी-अभी कर्मयोगी, अभी-अभी कर्मातीत स्टेज। जैसे आपकी रचना कछुआ सेकण्ड में सब अंग समेट लेता है। ऐसे आप मास्टर रचता समेटने की शक्ति के आधार से सेकण्ड में सर्व संकल्पों को समाकर एक संकल्प में स्थित हो जाओ। स्लोगन:- लवलीन स्थिति का अनुभव करने के लिए स्मृति-विस्मृति की युद्ध समाप्त करो। ओम् शांति ।