Sunday, May 24, 2015

मुरली 25 मई 2015

"मीठे बच्चे - श्रीमत ही तुमको श्रेष्ठ बनाने वाली है, इसलिए श्रीमत को भूलो मत, अपनी मत को छोड़ एक बाप की मत पर चलो” प्रश्न:- पुण्य आत्मा बनने की युक्ति क्या है? उत्तर:- पुण्य आत्मा बनना है तो सच्ची दिल से, प्यार से एक बाप को याद करो। 2. कर्मेन्द्रियों से कोई भी विकर्म न करो। सबको रास्ता बताओ। अपनी दिल से पूछो - यह पुण्य हम कितना करते हैं? अपनी चेकिंग करो - ऐसा कोई कर्म न हो जिसकी 100 गुणा सजा खानी पड़े। तो चेकिंग करने से पुण्य आत्मा बन जायेंगे। धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) बाप जो अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना देते हैं उसका कदर करना है। बेपरवाह बन पाप कर्म नहीं करने हैं। अगर निश्चय है भगवान हमको पढ़ाते हैं तो अपार खुशी में रहना है। 2) ईश्वर के घर में कभी चोरी आदि करने का ख्याल न आये। यह आदत बहुत गंदी है। कहा जाता कख का चोर सो लख का चोर। अपने अन्दर से पूछना है - हम कितना पुण्य आत्मा बने हैं? वरदान:- जहान के नूर बन भक्तों को नजर से निहाल करने वाले दर्शनीय मूर्त भव! सारा विश्व आप जहान के आंखों की दृष्टि लेने के लिए इन्तजार में है। जब आप जहान के नूर अपनी सम्पूर्ण स्टेज तक पहुचेंगे अर्थात् सम्पूर्णता की आंख खोलेंगे तब सेकण्ड में विश्व परिवर्तन होगा। फिर आप दर्शनीय मूर्त आत्मायें अपनी नजर से भक्त आत्माओं को निहाल कर सकेंगी। नजर से निहाल होने वालों की लम्बी क्यू है इसलिए सम्पूर्णता की आंख खुली रहे। आंखों का मलना और संकल्पों का घुटका व झुटका खाना बन्द करो तब दर्शनीय मूर्त बन सकेंगे। स्लोगन:- निर्मल स्वभाव निर्मानता की निशानी है। निर्मल बनो तो सफलता मिलेगी। ओम् शांति ।