Friday, May 22, 2015

मुरली 23 मई 2015

"मीठे बच्चे - अभी तुम संगम पर हो, तुम्हें पुरानी दुनिया से तैलुक (नाता) तोड़ देना है क्योंकि यह पुरानी दुनिया अब खत्म होनी है" प्रश्न:- संगम की कौन-सी विशेषता सारे कल्प से न्यारी है? उत्तर:- संगम की ही विशेषता है - पढ़ते यहाँ हो, प्रालब्ध भविष्य में पाते हो। सारे कल्प में ऐसी पढ़ाई नहीं पढ़ाई जाती जिसकी प्रालब्ध दूसरे जन्म में मिले। अभी तुम बच्चे मृत्युलोक में पढ़ रहे हो अमरलोक के लिए। और कोई दूसरे जन्म के लिए पढ़ता नहीं। गीतः दूर देश का रहने वाला........ धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) झरमुई झगमुई में अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है। माया कोई भी उल्टा काम न कराये, यह ध्यान रखना है। संगदोष में आकर कभी लूज नहीं होना है। देह-अभिमान में आकर किसी के नाम-रूप में नहीं फँसना है। 2) घर की याद के साथ-साथ बाप को भी याद करना है। याद के चार्ट की डायरी बनानी है। नोट करना है-हमने सारे दिन में क्या-क्या किया? कितना समय बाप की याद में रहे? वरदान:- त्रि-स्मृति स्वरूप का तिलक धारण करने वाले सम्पूर्ण विजयी भव! स्वयं की स्मृति, बाप की स्मृति और ड्रामा के नॉलेज की स्मृति-इन्हीं तीन स्मृतियों में सारे ज्ञान का विस्तार समाया हुआ है। नॉलेज के वृक्ष की यह तीन स्मृतियां हैं। जैसे वृक्ष का पहले बीज होता है, उस बीज द्वारा दो पत्ते निकलते हैं फिर वृक्ष का विस्तार होता है ऐसे मुख्य है बीज बाप की स्मृति फिर दो पत्ते अर्थात् आत्मा और ड्रामा की सारी नॉलेज। इन तीन स्मृतियों को धारण करने वाले स्मृति भव वा सम्पूर्ण विजयी भव के वरदानी बन जाते हैं। स्लोगन:- प्राप्तियों को सदा सामने रखो तो कमजोरियाँ सहज समाप्त हो जायेंगी। ओम् शांति ।