यह समाप्त होनी है, इसलिए इस दु:खधाम को बुद्धि से भूल जाओ''
प्रश्न:- मनुष्यों ने बाप पर कौन-सा दोष लगाया है लेकिन वह दोष किसी का भी नहीं है?
उत्तर:- इतना बड़ा जो विनाश होता है, मनुष्य समझते हैं भगवान ही कराता है, दु:ख भी वह देता,
सुख भी वह देता। यह बहुत बड़ा दोष लगा दिया है। बाप कहते-बच्चे, मैं सदा सुख दाता हूँ, मैं
किसी को दु:ख नहीं दे सकता। अगर मैं विनाश कराऊं तो सारा पाप मेरे पर आ जाए। वह तो
सब ड्रामा अनुसार होता है, मैं नहीं कराता हूँ।
गीत:- रात के राही...........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने ऊपर अटेन्शन का पूरा-पूरा पहरा देना है। माया से अपनी सम्भाल करनी है। याद का
सच्चा-सच्चा चार्ट रखना है।
2) मात-पिता को फालो कर दिलतख्तनशीन बनना है। दिन-रात सर्विस पर तत्पर रहना है। सबको
पैगाम देना है कि बाप को याद करो। 5 विकारों का दान दो तो ग्रहण छूटे।
वरदान:- बीती को चिंतन में न लाकर फुलस्टॉप लगाने वाले तीव्र पुरूषार्थी भव
अभी तक जो कुछ हुआ-उसे फुलस्टॉप लगाओ। बीती को चिंतन में न लाना-यही तीव्र पुरूषार्थ है।
यदि कोई बीती को चिंतन करता है तो समय, शक्ति, संकल्प सब वेस्ट हो जाता है। अभी वेस्ट
करने का समय नहीं है क्योंकि संगमयुग की दो घड़ी अर्थात् दो सेकेण्ड भी वेस्ट किया तो अनेक
वर्ष वेस्ट कर दिये इसलिए समय के महत्व को जान अब बीती को फुलस्टॉप लगाओ। फुलस्टॉप
लगाना अर्थात् सर्व खजानों से फुल बनना।
स्लोगन:- जब हर संकल्प श्रेष्ठ होगा तब स्वयं का और विश्व का कल्याण होगा।